वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday 29 May 2011

श्रद्धांजलि

कारगिल फतह 
                                                                                                           
कर नवाज-शरीफ सेअमन,दोस्ती का इकरार
आश्वस्त अटलजी ! लाहौर बस में हुए सवार |

उम्मीद की नई किरण थी फूटी 
मगर सदा की तरह ये भी झूठी !

तसल्ली का अभी हुआ ही था एहसास 
विश्वासघात का वही पुराना इतिहास !

जिहादियों की लेकर ओट
दुश्मन ने की पीठ पर चोट !

आहत हुआ हिमालय, क्षत-विक्षत फिर एक बार 
सेना ने लिया मोर्चा , दिया दुश्मन को ललकार !

हिमानी, बर्फानी, बुलंद चोटियों की श्वेतिमा 
छाई जिन पर, मतवालों के लहू की लालिमा !

देख हिन्दुस्तानी फौज के तेवर, उसके ज़ज्बात
दुश्मन का दुस्साहस, जल्द देने लगा जवाब !

किन्तु बैरी ने भी बुलंद किये अपने हौंसले 
कारगिल पर बरसने लगे मोर्टार और गोले !

चोटी पर दुश्मन आसीन, मुश्किल थी चढ़ाई 
रण-बांकुरों की, परीक्षा की घड़ी थी आई !

अंग हुए विछिन्न , खाई सीने पर गोली 
रुकने का ना काम,बढ़ती जाती थी टोली !

बुझती आँखें, डूबती साँसे, तिरंगे को दी सलामी 
बोले-हमवतनो, माँ के दूध की कीमत है चुकानी !

जान हथेली पर ले ऐसा शौर्य दिखाया 
दुश्मन को रौंद प्यारा परचम लहराया !


हमलावर का मिटा निशां, तिरंगे की खिंची डोर 
Tiger Hill पर फ़ौजी बोले - ये दिलमाँगे मोर !

शहीदों को शत-शत नमन, यही हमारी श्रद्धांजलि 
तुमसे ही आबाद चमन है, यही हमारी स्वरांजलि !






                                                                                                 


Saturday 28 May 2011

चमचाराज .


चमचाराज


सफ़लता का ग़र पहनना हो ताज़
तो बोलो जय-जय चमचाराज !




चमचाराज की ऐसी महिमा 
मिलती नहीं जिसकी उपमा
निकम्मों को बनाता श्रेष्ठ कार्मिक 
अज्ञानी को ज्ञान का दीपक !


सच्चाई यहाँ कुछ काम ना आती
मेहनत भी दर-दर ठोकर खाती
जीवन-मूल्यों की किसको चिंता
मासूमियत की जलती इसमें चिता !


साहस इसमें बड़ा दुर्गुण है 

विवेक सबसे बड़ा अवगुण है
अंधभक्ति की इसमें ज़रूरत
आदर्शों की नहीं कोई कीमत !


मेरे मन ! तू क्यों नहीं सीखता ?
परम लाभ का ये आसान तरीका !
क्यों मुश्किलों को सीने से लगाया है
नैतिकता से क्या तूने पाया है ?


क्या दुखों से हुआ तुझे प्यार है ?
क्यों अपनी हठ पर बरकरार है ?

किंचित मन की गहराई में कहीं विश्वास है
सच्चाई की होती नहीं कभी हार है !


ये भी एक दौर है जो गुज़र जायेगा
अन्याय को रौंद न्याय मुस्काएगा
जीवन-मूल्यों में ना छोड़ना कभी आस्था
प्रभु के आशीर्वाद का यही है सच्चा रास्ता |



तो! सफ़लता का अगर पहनना हो ताज़
ईश्वर,कर्म,पुरुषार्थ पर रखो विश्वास |




सोने की चिड़िया

सोने की चिड़िया


सोने की है ये चिड़िया
फूलों की है ये बगिया
देखी है सारी दुनिया
इस जैसा कोई है कहाँ !


सोने की चिड़िया ...................


सा सा सा रे गा रे गा ..........


गौतम की है ये भूमि 
गाँधी की है ये जननी 
गंगाधर की आई 
नेहरु की है ये माई
प्रज्ञा की है ये उर्मि
वेदों की है ये धरती 

सोने की चिड़िया ..............


भेद सभी को भूल के हमने
आज़ादी को पाया (सरगम )
क्यों भूल गया इंसान
शहीदों के वे बलिदान
कैसा आया आज समां
भाई लेता भाई की जान

भटकों को दिखाएँ राह
करें देश का नव-निर्माण



सोने की चिड़िया ....................

आकुल अंतर



आकुल अंतर

छेड़ गई दिल को मेरे
बचपन की यादों की लहर
जब था हँसना-खेलना,गाना
ना थी कभी कोई फ़िकर |



माँ की गोद में था समाया 
बाल-सुलभ सुख सारा 
हर कठिन घड़ी में 
उसकी ममता का था सहारा |


बचपन बीता यौवन आया
जीवन में उच्छ्वास लाया
नए थे लक्ष्य, नई चुनौतियाँ
बनी सहज पा माँ का सरमाया |


हुआ विवाह तो 
बेटी हुई पराई !
दिल में उठी टीस
जग ने कैसी ये रीत बनाई !


मिला ससुराल का आँगन तो
छूटा माँ का स्नेही आँचल
सब सुख हैं जीवन में लेकिन 
माँ की ममता को मन आकुल !











Friday 27 May 2011

बिटिया रानी



                                                              बिटिया रानी 


मत कराइये फिर एहसास
किस सुख से मन वंचित हैक कसक;घनीभूत पीड़ा   
ह्रदय में मेरे संचित है |

यूँ तो भरा-पूरा है जीवन, संसार मेरा 
सपूतों की जननी, मस्तक गर्वित मेरा
पायल की रुनझुन,कुमकुम,कज़रे की धार 
हाथों पर मेहंदी , खूब करती उसका श्रृंगार.....

नैनों में
सपन सँजोए
बाट जोहे प्रसूता 
विधि आँख-मिचौनी खेले 
मन रह जाए बस रीता !

  कहीं गर्भ में दस्तक दे 
जब प्यारी बिटिया रानी 
भ्रूण-हत्या को बेबस,मूक
     जुल्म सहती, अबला नारी ?


ना ढांपो इस कुरूपता, इस कलुष को
आवाज़ दो अपने विवेक, संवेदना को
मत घोटो साँसे,जन्म से पहले बेटी की
वही बनेगी सुनीता विलियम्स, वही किरण बेदी !






  



माँ





कोख में सहेज
रक्त से सींचा
स्वपनिल आँखों ने
मधुर स्वपन रचा
जन्म दिया सह दुस्तर पीड़ा
बलिहारी माँ देख मेरी बाल-क्रीड़ा !

गूँज उठा था घर आँगन
सुन मेरी किलकारी
मेरी तुतलाहट पर
माँ जाती थी वारी-वारी !

उसकी उँगली थाम
मैंने कदम बढ़ाना सीखा
हर बाधा, विपदा से
जीत जाना सीखा !

चोट लगती है मुझे
सिसकती है माँ
दूर जाने पर मेरे
खूब बिलखती है माँ !

ममता है, समर्पण है
दुर्गा-सी शक्‍ति है माँ
मेरी हर ख़ुशी के लिए
ईश की भक्ति है माँ !

माँ संजीवनी है
विधाता का वरदान है
जिंदगी के हर दुःख का
वह अवसान है
प्रभु का रूप
उस का नूर है माँ
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !

-सुशीला शिवराण


English Story - The Five Foolish Men