वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Tuesday 13 November 2012

मेरे दीपक जल



मेरे दीपक जल !

जगर-मगर मेरे दीपक जल
चल छोड़ महल कुटिया में चल
दीन-दुखी का कुछ तो हर तम
बुझी ज़िंदगियाँ रोशन कर।

ईंट-भट्टी में झुलसता बचपन
शीशे की आंच में सिकता लड़कपन
आतिश की कालिख में घुलता
बुझता बचपन, आलोकित कर ।

देह का बाज़ार दलदल में सना
जिस्म नुचता मंडियों में बेपनाह
इस नर्क से मुक्ति पाए जिन्दगी
नाउम्मीदी के तम में उम्मीद भर ।

बुढ़ापे की देहरी पर जब उलट जाए
अपनों का बरताव, रिश्तों का कलश
स्‍नेह और विश्‍वास से सींचा जिसे उम्र भर
जीवन संध्या में कोई उजास कर ।
जगर-मगर मेरे दीपक जल ।

- शील

चित्र : साभार गूगल

Saturday 10 November 2012

पर्यावरण के हाइकु


पर्यावरण के हाइकु

१)
गंगा-यमुना
प्रदूषण की मारी
हुई उसांसी ।

२)
सुरसरिता
सींच के सभ्यताएँ
सूख न जाए !

३)
निर्मल धार
धो-धो सब का मैल
हुई मलिन ।

४)
वायुमंडल
अटा अब धुँए से
एसिड रेन !

५)
हैं प्रदूषित
जल के स्त्रोत सभी
रोगी मानव ।

६)
खाते जूठन
पॉलिथीन लिपटी
मरते पशु !


७)
ओज़ोन छिद्र
न रूके विकिरण
मिले कैसर !

८)
बधिर हुए
बसे स्टेशन-पास
गरीब लोग ।

९)
हर ली निद्रा
विकास की कीमत
चुकाएँ लोग।


१०)
दमा, तनाव
रक्‍तचाप के रोग
दे प्रदूषण ।

११)
करो उपाए
रोक लो प्रदूषण
वृक्ष उगाओ !

१२)
दें ऑक्‍सीजन
ले के दूषित हवा
वृक्ष हैं वैद्‍य !

- शील

चित्र : साभार गूगल

Saturday 3 November 2012

हाइकु - करवाचौथ



आप सब का करवाचौथ बहुत ही उमंग और उल्लास भरा रहा होगा । इसी उमंग से निकले है ये हाइकु -

१)

शृंगार मेरा
पिया तेरी ही प्रीत
शेष है रीत !

२)
सजा मेंहदी
बिंदी, कजरा, माँग
पूजूँ मैं चाँद ।

३)
रची मेंहदी

सुर्ख रंग में बसा
प्रेम पिया का !

४)
चंदा की उम्र
लगे मेरे चाँद को
होंठों पे दुआ !
५)
पाऊँ हिना में

तेरे प्यार की खुश्‍बू
महक जाऊँ !

६)
सुर्ख हिना में

रची है तेरी प्रीत
ए मनमीत !

७)
कर्क चतुर्थी
लाए सुहाग पर्व
दिलों में हर्ष ।

- शील