वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Friday 9 August 2013

तीज के हाइकु - राजस्थानी, हिंदी



पहले मेरी मातृभाषा राजस्थानी में, फिर हिन्दी भाषा में उनका अनुवाद पढ़िए । प्रस्तुत हैं तीज के हाइकु –


मैंदी, घेवर
लहरियै रा रंग
ल्याई है तीज ।

हिना-घेवर
लहरिये के रंग
लाई है तीज ।

~~~~~~~~~~~

पींग अकास
गूँजैं सावण-गीत
कजळी तीज ।

पींगें आकाश
गूँजें सावन-गीत
कजली तीज।~
~~~~~~~~~~~

आयो सिंधारो
सिंगरो म्हारी नार
नैण कटार ।

आया सिंधारा
सजो हमारी नार
नैन कटार।

~~~~~~~~~~~~

सावण तीज
मायड़ न सिंधारो
रोवै जिवड़ो।

सावन तीज
न माँ, न ही सिंधारा
रोए जियरा ।


- शील

चित्र : साभार गूगल

13 comments:

  1. राजस्थानी में अच्छे हाइकू लिखे हैं !!

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    1. धन्यवाद पूरण खण्डेलवाल जी ।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आओ ब्लॉग पर पधारे, हाईकु पढे, सराहे ।

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  3. हाइकु चयन हेतु आभार रूपचन्द्र शास्त्री जी ।

    सुशीला

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  4. धन्यवाद अरूण जी कि आपने मेरी रचना को ब्लॉग प्रसारण पर स्थान दिया ।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

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  6. बहुत सुन्दर हाइकु प्रस्तुति................

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  7. बहुत सुंदर हायकु...

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  8. तीज के सभी हाइकू लाजवाब ... भावमय प्रेम का सन्देश लिए ...

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