वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday 31 December 2011

नया साल





नया साल



नव आशा
करता संचार
देखे संसार
हर साल
नया साल!

नव ललक
नव पुलक
भरता चलता
नव चाल
नया साल!

नई उमंग
नई तरंग
भर भर
करता निहाल
नया साल!

नव बहर
सुख लहर
जुटा लुटा
करता जाता
मालामाल
नया साल !

नया संकल्प
नए सपने
ले ले आता
मेट मलाल
नया साल!

गत के लेखे
आगत देखे
बाकी लाता
सारा माल
नया साल!

तलपट मिलता
घाटा नफ़ा
संग संग चलता
लेता सब हवाल
नया साल!

कितना खाया
कितना पीया
कहाँ घोटाला
जाने सब
कौन दलाल
नया साल!

मँहगाई की मार
खूब भ्रष्टाचार
अन्ना का अनशन
रामदेव पर प्रहार
माँगती जनता
टलता देखे
अपना लोकपाल
नया साल!

विगत भूल कर
गत में झूल कर
आगत का स्वागत
भूल घोटाले
नेता हम प्याले
नया दे खयाल
नया साल!






Tuesday 27 December 2011

कैसी प्रतिस्पर्धा !

युवा मन 

होता आहत

भरता आक्रोश

जब सुनता

'Weaker sex'

कमज़ोर बालिका 

कमज़ोर स्त्री !



बाल्यावस्था पिता अधीन

युवावस्था पति स्वामी
  
वृद्धावस्था पुत्र सुरक्षा !

मन में आक्रोश पलता 

क्यों सबला को अबला ? 

सुरक्षा - भ्रम देकर 

बाँधी बेड़ियाँ बेकल ! 



साहस, हिम्मत लड़कों की तरह 

दबंगई,खेलकूद लड़कों की तरह

लड़की लड़कों से कम नहीं

है गुरूर माँ-बाप का 

हरगिज़ बोझ नहीं !




अब करती चिंतन

बैठ आत्म-मंथन

जी चुकी हूँ चार दशक

बेटी,बहन,भार्या,माँ के रूप

पाया है जीवन का सार 

नारी नैसर्गिक निर्भरा !



बचपन में डरी जब 

जा छुपी बाबूजी की गोद

यौवन-काल

भाईयों का साथ

किले के परकोटे-सा

"श्रीमती" संग सम्मान मिला

एक गरिमामयी मान मिला 

हर समस्या का हल 

हर विपदा में संबल !



बेटों का प्यार,सानिध्य  

देता गर्व,सुरक्षा सामीप्य 

घर-बाहर, यात्रा पर 

सब काम, दायित्व 

सहर्ष लेते कन्धों पर

प्रत्येक रूप में पुरुष 

सुख,सुकूं, सुरक्षा 

फिर कैसी प्रतिस्पर्धा !

अपनी हस्ती कर विलीन  

रिश्तों में जीवन तल्लीन 

भरपूर दे-सब पा जाना

जीवन-अमृत पा लेना|

Wednesday 21 December 2011

आज सँवर लें





 

आओ सजन आज सँवर लें ,
खुशियों से अपना घर भर लें |


ठहरा जीवन दें रवानगी,
आओ कांधों पर सर धर लें |


बहुत रहे परदेस ओ पिया,
आ कि तेरा दीदार कर लें |


ये जिंदगी उदास बेमुकाम,
आओ खालीपन को हर लें |


बहे इश्क का दरिया इधर भी,
आओ इसमें हम भी तर लें |


Tuesday 13 December 2011

ए सनम !




तुम दिल
 
मैं ज़ज़्बात
आओ लिखें
कोई गज़ल
कोई नज़्म
ए सनम !

तुम कागज़
मैं कलम
तुम हरफ़

मैं अहसास
आओ लिखें
कोई नग़मा
ए सनम !


तुम बादल

मैं बरसात
थोड़ा उमड़ें
थोड़ा घुमड़ें
भीगें साथ
ए सनम !

तुम प्रेम

मैं प्रीत
आओ छेड़ें
कोई राग
कोई गीत
ए सनम !