वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Wednesday, 21 December 2011

आज सँवर लें





 

आओ सजन आज सँवर लें ,
खुशियों से अपना घर भर लें |


ठहरा जीवन दें रवानगी,
आओ कांधों पर सर धर लें |


बहुत रहे परदेस ओ पिया,
आ कि तेरा दीदार कर लें |


ये जिंदगी उदास बेमुकाम,
आओ खालीपन को हर लें |


बहे इश्क का दरिया इधर भी,
आओ इसमें हम भी तर लें |


21 comments:

  1. सुशीला जी,..
    बहुत सुंदर प्रेम का इजहार करती भावपूर्ण रचना,....
    मेरे पोस्ट में आने के लिए आभार,.....इसी तरह स्नेह बनाए र्रखे

    मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे

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  2. प्रेम रस से परिपूरन रचना ................

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  3. अकेलेपन को अकेले नहीं भरा जा सकता. पिया से की गई मनुहार सार्थक है. सुंदर रचना.

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  4. प्रेम और विरह की सुन्दर रचना।

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  5. बहुत ही अच्छा लिखा है मैम।

    सादर

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  6. कल 23/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. @dheerendra,Roshi,Bharat Bhushan,dinesh aggarwal and यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) - तहे दिल से शुक्रिया

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  8. मिलन की आतुरता को बयां करते खूबसूरत शब्द और अभिव्यक्ति

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  9. ठहरे जीवन को रवानगी
    आओ कांधों पर सर धर लें
    बहुत सुंदर ...

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  10. वाह! बहुत सुन्दर...
    सादर बधाई...

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  11. gahare bhav se likhi behad sundar rachana hai.....

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  12. वाह ...बहुत खूब।

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  13. ... प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  14. बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  15. बहे इश्क का दरिया इधर भी
    आओ इसमें हम भी तर लें...वाह वाह!!

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  16. ये जिंदगी उदास बेमुकाम
    आओ खालीपन को हर लें
    खालीपन को हरना बहुत लाज़मी है...

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  17. बहुत रहे परदेस ओ पिया
    आ कि तेरा दीदार कर लें

    good expression.

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  18. waah! bahut hi sundar rachna... bdhai sweekaren...

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  19. प्रसंसनीय बहुत सुंदर,....

    मेरे नए पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--"बेटी और पेड़"--में click करे

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  20. वाह...प्यारी सी रचना.
    बहुत खूब.

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  21. emotions ko bakhubi ukera hai words me

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