वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 20 November 2011

झाँसी की रानी




मणिकर्णिका, मनु कहो या कहो लक्ष्मीबाई
देशभक्ति की अलख वो दिलों में जगा गई

अस्त्र-शस्त्र से खेला करती मोम-सा दिल लिये
बाबा की चहेती वो रिपु-दमन हमें सिखा गई

पराधीनता, अन्याय, ज़ुल्म की वो बैरी थी
झाँसी की थी रानी उसीपे प्राण लुटा गई

रण औ बलिदान का पाठ सब को पढा गई
मर के भी कैसे जीते हैं दुनिया को दिखा गई



१९ नवम्बर को रानी लक्ष्मी बाई का जन्मदिन था | उनके जन्मदिन पर

मेरी यह रचना उन्हें समर्पित | शत-शत नमन !

10 comments:

  1. बहुत ही अच्छा लिखा है मैम!
    झांसी की रानी को हमारा भी नमन!

    सादर

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  2. धन्यवाद यशवन्त जी । प्रशंसा और हौंसलाअफ़ज़ाई के लिये शुक्रिया ।

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  3. jhaansi ki rani ko yaad kerke aapne hamen bhi mauka diya- shukriyaa

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  4. रानी लक्ष्मी बाई को शत-शत नमन !

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  5. अच्छी पोस्ट आभार ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।

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  6. इतिहास को अपनी तरह से याद दिलाती पोस्ट. आपका आभार.

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  7. अस्त्र-शस्त्र से खेला करती मोम-सा दिल लिये
    बाबा की चहेती वो रिपु-दमन हमें सिखा गई.bhut hi prerak.

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  8. सुन्दर प्रस्तुति, सार्थक, बधाई.

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  9. सुंदर प्रस्तुति बधाई.....
    मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है

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  10. बेहतरीन लिखा है,

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