मणिकर्णिका, मनु कहो या कहो लक्ष्मीबाई
देशभक्ति की अलख वो दिलों में जगा गई
अस्त्र-शस्त्र से खेला करती मोम-सा दिल लियेदेशभक्ति की अलख वो दिलों में जगा गई
बाबा की चहेती वो रिपु-दमन हमें सिखा गई
पराधीनता, अन्याय, ज़ुल्म की वो बैरी थी
झाँसी की थी रानी उसीपे प्राण लुटा गई
रण औ बलिदान का पाठ सब को पढा गई
मर के भी कैसे जीते हैं दुनिया को दिखा गई
१९ नवम्बर को रानी लक्ष्मी बाई का जन्मदिन था | उनके जन्मदिन पर
मेरी यह रचना उन्हें समर्पित | शत-शत नमन !
बहुत ही अच्छा लिखा है मैम!
ReplyDeleteझांसी की रानी को हमारा भी नमन!
सादर
धन्यवाद यशवन्त जी । प्रशंसा और हौंसलाअफ़ज़ाई के लिये शुक्रिया ।
ReplyDeletejhaansi ki rani ko yaad kerke aapne hamen bhi mauka diya- shukriyaa
ReplyDeleteरानी लक्ष्मी बाई को शत-शत नमन !
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट आभार ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।
ReplyDeleteइतिहास को अपनी तरह से याद दिलाती पोस्ट. आपका आभार.
ReplyDeleteअस्त्र-शस्त्र से खेला करती मोम-सा दिल लिये
ReplyDeleteबाबा की चहेती वो रिपु-दमन हमें सिखा गई.bhut hi prerak.
सुन्दर प्रस्तुति, सार्थक, बधाई.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति बधाई.....
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है
बेहतरीन लिखा है,
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