पेश हैं चंद शेर -
कभी लब हँस दिए कभी आँखों ने चुगली कर दी
कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी
मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है
दिल ने चाहा संभलना, इन्होंने दग़ा किया है !
तू नहीं तो तेरी यादों ने घेरा है मुझे
कब, कहाँ तन्हा तूने छोड़ा है मुझे !
कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी
मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है
दिल ने चाहा संभलना, इन्होंने दग़ा किया है !
तू नहीं तो तेरी यादों ने घेरा है मुझे
कब, कहाँ तन्हा तूने छोड़ा है मुझे !
तुम से दूर हुए तो आज जाना हमने
ज़िस्म बाकी रहा खो दी धड़कन हमने
माफ़ करो ख़ता, गिले-शिकवे भुला के आओ
आओ फिर से बरखा की तरह झूम के आओ
-सुशीला शिवराण
तुम से दूर हुए तो आज जाना हमने
ReplyDeleteज़िस्म बाकी रहा खो दी धड़कन हमने
Dard...khoob sundar
वाह..मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है...बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteवाह खुबसूरत ग़ज़ल बधाई स्वीकारें.
ReplyDelete(अरुन = arunsblog.in)
वाह ,,,,बहुत लाजबाब शेर,,,
ReplyDeleteकभी लब हँस दिए कभी आँखों ने चुगली कर दी
कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी,,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
वाह....
ReplyDeleteबढ़िया शेर कहे हैं....
सभी को लेकर एक एक गज़ल लिख डालिए अब :-)
अनु
wah...
ReplyDeleteमत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है
ReplyDeleteदिल ने चाहा संभलना, इन्होंने दग़ा किया है ..
आँखों और दिल का ये अजीब रिश्ता है ... जब दिल छुपाना चाहता है ये बह निकलती हैं ... रोक नहीं पातीं दिल के एहसास अपने अंदर सिमट के ...
सभी शेर लाजवाब ...
बहुत खूब सुशीला जी, सुन्दर शेर लिखे हैं आपने ...बहुत खूब!
ReplyDeleteवाह ये शेर तो कमाल का लिखा है आपने
ReplyDeleteतू नहीं तो तेरी यादों ने घेरा है मुझे
कब, कहाँ तन्हा तूने छोड़ा है मुझे !