वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 2 September 2012

चंद शेर



पेश हैं चंद शेर -



कभी लब हँस दिए कभी आँखों ने चुगली कर दी
कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी

मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है
दिल ने चाहा संभलनाइन्होंने दग़ा किया है !


तू नहीं तो तेरी यादों ने घेरा है मुझे
कब, कहाँ तन्हा तूने छोड़ा है मुझे !

तुम से दूर हुए तो आज जाना हमने
ज़िस्म बाकी रहा खो दी धड़कन हमने

माफ़ करो ख़ता, गिले-शिकवे भुला के आओ
आओ फिर से बरखा की तरह झूम के आओ
                         

                                        -सुशीला शिवराण

9 comments:

  1. तुम से दूर हुए तो आज जाना हमने
    ज़िस्म बाकी रहा खो दी धड़कन हमने
    Dard...khoob sundar

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  2. वाह..मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है...बहुत सुन्दर..

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  3. वाह खुबसूरत ग़ज़ल बधाई स्वीकारें.
    (अरुन = arunsblog.in)

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  4. वाह ,,,,बहुत लाजबाब शेर,,,
    कभी लब हँस दिए कभी आँखों ने चुगली कर दी
    कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी,,,,

    RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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  5. वाह....
    बढ़िया शेर कहे हैं....
    सभी को लेकर एक एक गज़ल लिख डालिए अब :-)

    अनु

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  6. मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है
    दिल ने चाहा संभलना, इन्होंने दग़ा किया है ..

    आँखों और दिल का ये अजीब रिश्ता है ... जब दिल छुपाना चाहता है ये बह निकलती हैं ... रोक नहीं पातीं दिल के एहसास अपने अंदर सिमट के ...
    सभी शेर लाजवाब ...

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  7. बहुत खूब सुशीला जी, सुन्दर शेर लिखे हैं आपने ...बहुत खूब!

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  8. वाह ये शेर तो कमाल का लिखा है आपने

    तू नहीं तो तेरी यादों ने घेरा है मुझे
    कब, कहाँ तन्हा तूने छोड़ा है मुझे !

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