खद्दर राखै चमक्योड़ी, खूब धोळी अर ऊजळी
जनता नै ये खूब बिलमावैं, बोलैं झूठ मोकळी
इणको धरम एक, करम एक, कुरसी है इणको राम
देस, जनता जावै भाड़ मैं इणनैं बस माया सूँ काम
वोटां खातर नित नई चाल और पाखंड खिंडावैं
कदे शाहबानो, भँवरी और रूचिका नै बलि चढावैं
कदे जाट, कदे गुजर तो कदे मीणां नैं देवैं आरक्षण
कदे जाट, कदे गुजर तो कदे मीणां नैं देवैं आरक्षण
है या राजनीति वोटां की, मूळ मैं है अणको भक्षण
इण सब री है एक ही जात और एक ही है औकात
मिली कुर्सी लूट; डर नीं भाया बेईमानी रो सूत कात
देस, जनता जावै भाड़ मैं इणनैं बस माया सूँ काम
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है मैम!
सादर
बहुत करारा... तीक्ष्ण आवेग....
ReplyDeleteसादर...