हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
@यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) - You are the one person who is so young but doing the incredible job of providing a platform to the hundreds of unknown writers through your "हलचल" Thank you so much for all the appreciation which becomes an encouragement to write better. Thank you !
तुम कागज़
ReplyDeleteमैं कलम
तुम भाव
मैं हरफ़
आओ लिखें
कोई कविता
ए सनम !
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
तुम बादल
ReplyDeleteमैं बरसात
थोड़ा उमड़ें
थोड़ा घुमड़ें
भीगें साथ
ए सनम !
बेहतरीन पंक्तियाँ रची हैं मैम !
सादर
Kya baat hai. Bahut hi sundar hai
ReplyDeleteजुगलबंदी की अच्छी कल्पना.
ReplyDeletebahut khub....:)
ReplyDelete
ReplyDelete♥
तुम प्रेम
मैं प्रीत
आओ छेड़ें
कोई राग
कोई गीत
ए सनम !
वाह ! बहुत नेक ख़याल है … ☺
आदरणीया सुशीला जी
सादर नमस्कार !
घणी घणी ओळ्यूं !!
☺
गीत ग़ज़ल रुबाई कविता का बहुत सुखद् संयोग है आपकी रचना में …
लेकिन भीगें साथ पढ़ कर ही हमें तो सर्दी का एहसास हो रहा है …
गरम पानी का इंतज़ाम रखिएगा …
हा हाऽऽ… ! विनोद कर रहा था …
सुंदर रचना के लिए
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपके ब्लॉग पैर पहली बार आये हैं .सुंदर रचना हैं
ReplyDelete@मोहन श्रोत्रिय - आपका हार्दिक आभार ! यूँ ही अनुगृह बनाए रखें ।
ReplyDelete@Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार - घणी खम्मा और घणी घणी ओळ्यूं !!
ReplyDeleteथारै सूँ तो मन्नै भोत-कुछ सीखणो है भाई सा ! हौंसळो बढावैण खातर धिनवाद ।
@यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) - You are the one person who is so young but doing the incredible job of providing a platform to the hundreds of unknown writers through your "हलचल"
ReplyDeleteThank you so much for all the appreciation which becomes an encouragement to write better. Thank you !
@आशा ढौंडियाल - धन्यवाद
ReplyDelete@Roshi- आपका बहुत-बहुत स्वागत !
@amrendra "amar" - शुक्रिया अमरेन्द्र जी ।
@Rajeev Upadhyay - आपका आभार !
ati sundar rachna .......pyar ki nishchha abhivykti
ReplyDeletebahut sundar..vah..! kya baat hai..dil ke taar jhanjhanaa uthe...
ReplyDeletebehtreen prstuti.........
ReplyDeleteतुम प्रेम
ReplyDeleteमैं प्रीत
आओ छेड़ें
कोई राग
कोई गीत
ए सनम !
बहुत सुंदर प्रेममयी रचना अच्छी लगी
Vah! very nice!
ReplyDeleteयुगल-भाव की सुंदरता का चित्रण करती भावमयी कविता. बहुत खूब.
ReplyDeletewaah....
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