कारगिल फतह |
कर नवाज-शरीफ सेअमन,दोस्ती का इकरार
आश्वस्त अटलजी ! लाहौर बस में हुए सवार |
आश्वस्त अटलजी ! लाहौर बस में हुए सवार |
उम्मीद की नई किरण थी फूटी
मगर सदा की तरह ये भी झूठी !
तसल्ली का अभी हुआ ही था एहसास
विश्वासघात का वही पुराना इतिहास !
जिहादियों की लेकर ओट
दुश्मन ने की पीठ पर चोट !
आहत हुआ हिमालय, क्षत-विक्षत फिर एक बार
सेना ने लिया मोर्चा , दिया दुश्मन को ललकार !
हिमानी, बर्फानी, बुलंद चोटियों की श्वेतिमा
छाई जिन पर, मतवालों के लहू की लालिमा !
देख हिन्दुस्तानी फौज के तेवर, उसके ज़ज्बात
दुश्मन का दुस्साहस, जल्द देने लगा जवाब !
किन्तु बैरी ने भी बुलंद किये अपने हौंसले
कारगिल पर बरसने लगे मोर्टार और गोले !
चोटी पर दुश्मन आसीन, मुश्किल थी चढ़ाई
रण-बांकुरों की, परीक्षा की घड़ी थी आई !
अंग हुए विछिन्न , खाई सीने पर गोली
रुकने का ना काम,बढ़ती जाती थी टोली !
बुझती आँखें, डूबती साँसे, तिरंगे को दी सलामी
बोले-हमवतनो, माँ के दूध की कीमत है चुकानी !
जान हथेली पर ले ऐसा शौर्य दिखाया
दुश्मन को रौंद प्यारा परचम लहराया !
हमलावर का मिटा निशां, तिरंगे की खिंची डोर
Tiger Hill पर फ़ौजी बोले - ये दिलमाँगे मोर !
शहीदों को शत-शत नमन, यही हमारी श्रद्धांजलि