दामिनी के शोक में नव-वर्ष नहीं मना रही हूँ। मेरे उद्गार हाइकु और ताँका में पढ़िए -
१)
आ नव-वर्ष
क्षुब्ध भारतवर्ष
ला न्याय, हर्ष !
२)
नारी-सम्मान
नव-वर्ष संकल्प
हर नर का !
३)
मैं मुहाफ़िज़
न होंगी बेआबरू
बेटियाँ प्यारी।
४)
बर्फ़ हुई जो
पिघले संवेदना
मेरी-तुम्हारी !
५)
बेहतर हो
कल मेरा-तुम्हारा
शुभकामना !
ताँका
उबरना है
शर्म से क्षोभ से तो
करो ये वादा
दामिनी का इंसाफ़
रहे ध्येय हमारा।
- शील