वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Tuesday, 1 January 2013

हाइकु,ताँका दामिनी को समर्पित



दामिनी के शोक में नव-वर्ष नहीं मना रही हूँ। मेरे उद्‍गार हाइकु और ताँका में पढ़िए -

१)
आ नव-वर्ष
क्षुब्ध भारतवर्ष
ला न्याय, हर्ष !

२)
नारी-सम्मान
नव-वर्ष संकल्प
हर नर का !

३)
मैं मुहाफ़िज़
न होंगी बेआबरू
बेटियाँ प्यारी।

४)
बर्फ़ हुई जो
पिघले संवेदना
मेरी-तुम्हारी !

५)
बेहतर हो
कल मेरा-तुम्हारा
शुभकामना !

ताँका


उबरना है
शर्म से क्षोभ से तो
करो ये वादा
दामिनी का इंसाफ़
रहे ध्येय हमारा।

- शील