शुभ बाल-दिवस ! बच्चों के लिए स्नेह और संवेदना के साथ हाइकु कविता........
क्या चाहता मैं
बाल-दिवस पर
मेरी सुनो जी ।
मम्मी-पापा जी
तोहफ़ों का लालच
बंद करो जी ।
अपना साथ
थोड़ी ममता-प्यार
मुझको दो जी ।
थोड़ी ममता-प्यार
मुझको दो जी ।
सुबह-शाम
मायूसी में कटतीं
किसे बताऊँ ?
मायूसी में कटतीं
किसे बताऊँ ?
दोपहर मैं
जब स्कूल से आऊँ
तुम्हें न पाऊँ ।
जब स्कूल से आऊँ
तुम्हें न पाऊँ ।
कितनी रातें
राह तकता रहूँ
और सो जाऊँ ।
सुबह जगूँ
तुम्हें सोता ही छोड़
स्कूल आ जाऊँ ।
मैगी-नूडल
नहीं चाहिए मुझे
पक गया हूँ ।
दोस्तों के डब्बे
स्वाद-सुगंध लाएँ
मुँह में पानी !
पूरी-पराँठे
साथ सब्ज़ी-अचार
मुझको दो जी ।
रूखी-सूखी है
क्यों छोटी-सी ज़िंदगी
तुम सोचो जी !
- सुशीला श्योराण
राह तकता रहूँ
और सो जाऊँ ।
सुबह जगूँ
तुम्हें सोता ही छोड़
स्कूल आ जाऊँ ।
मैगी-नूडल
नहीं चाहिए मुझे
पक गया हूँ ।
दोस्तों के डब्बे
स्वाद-सुगंध लाएँ
मुँह में पानी !
पूरी-पराँठे
साथ सब्ज़ी-अचार
मुझको दो जी ।
रूखी-सूखी है
क्यों छोटी-सी ज़िंदगी
तुम सोचो जी !
- सुशीला श्योराण