टूटे सपने
कुछ टूटे हुए सपने
मन के तहख़ाने में
रख दिए हैं महफ़ूज़
गाहे-ब-गाहे
चली जाती हूँ सँभालने
सहलाती हूँ
छाती से लगाती हूँ
सील गए हैं मेरे सपने
उनकी सीलन
दिमाग की नस-नस में फैलने लगी है
घुट रहे हैं मेरे सपने
जिनकी घुटन से
घुटने लगा है मेरा दम
और मैं घबराकर
तहख़ाने से भाग आती हूँ
खुली हवा, धूप में
और पुकारती हूँ तुम्हें
कब करोगे आज़ाद
सीलन भरे तहख़ाने से
दम तोड़ते हुए मेरे सपनों को
कब दोगे इन्हें
इनके हिस्से की धूप
मुझे ज़िंदगी ।
- सुशीला शिवराण
कुछ टूटे हुए सपने
मन के तहख़ाने में
रख दिए हैं महफ़ूज़
गाहे-ब-गाहे
चली जाती हूँ सँभालने
सहलाती हूँ
छाती से लगाती हूँ
सील गए हैं मेरे सपने
उनकी सीलन
दिमाग की नस-नस में फैलने लगी है
घुट रहे हैं मेरे सपने
जिनकी घुटन से
घुटने लगा है मेरा दम
और मैं घबराकर
तहख़ाने से भाग आती हूँ
खुली हवा, धूप में
और पुकारती हूँ तुम्हें
कब करोगे आज़ाद
सीलन भरे तहख़ाने से
दम तोड़ते हुए मेरे सपनों को
कब दोगे इन्हें
इनके हिस्से की धूप
मुझे ज़िंदगी ।
- सुशीला शिवराण