वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 10 August 2014

रक्षाबंधन - दोहे-हाइकु 2014



 रक्षाबंधन के हाइकु  - सुशीला शिवराण


१.
भेज दी राखी
संग भेजी मिठाई
टैग हैं भाई।

२.
नेट पे भेजीं
राखी कई हज़ार
सूनी कलाई।

३.
पावन-पर्व
बहना को दे हर्ष
भैया को गर्व।

४.
राखी के दिन
लौटा है बचपन
भैया के संग।

५.
रक्षा-धागों से
बँधे बादशाह भी
स्‍नेह डोर से।

६.
सूनी कलाई
सीमा पर है भाई
आई रूलाई।

७.
राखी हाथ में
बहना जोहे बाट
आँसू आँख में।


८.
रक्षा-पर्व पे

बँधते कच्‍चे धागे

पक्‍के रिश्‍तों में।

९.
छीजीं ख़ुशियाँ
गले मिले न कोई

ना ही पतियाँ।

१०.
उत्सव वही
खो गया है उत्साह
नए दौर में।

११.
पैसा दमके
भावना भिखारिन
खड़ी सिसके।