टूटा दिल बहलाना है
अश्कों को समझाना है
अब ना बहायें ये दरिया
उन्हें न प्यार बरसाना है
उनके हसीं ख्यालों को
बस ख़्वाबों में लहकाना है
आईं थीं कभी बहारें भी
अब यादों को महकाना है
गुज़रे लम्हे आयेंगे याद बहुत
ग़म को सीने में दफ़नाना है
दिल में हो दर्द कितना भी
लबों से मगर मुस्काना है
टूटा दिल बहलाना है
ReplyDeleteअश्कों को समझाना है.. sundar abhivaykti....
शुक्रिया सागरजी ।
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
बहुत-बहुत धन्यवाद यशवन्तजी !
ReplyDeleteदर्दीली भावनाओं से निकली सुंदर कविता बहुत अच्छा लगी.
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया भूषणजी ।
ReplyDeleteगुज़रे लम्हे आयेंगे याद बहुत
ReplyDeleteग़म को सीने में दफ़नाना है
...बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
टूटा दिल बहलाना है
ReplyDeleteअश्कों को समझाना है.....बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
बहुत खूब ....
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है ।
ReplyDeletewaaaahhhh...
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