ज़रा-सा पाँव क्या फ़िसला हमारा
उठने को बेचैन तेरी उंगली मचल गई
न देखा झाँक खुद के गिरेबां में कभी
उठने को बेचैन तेरी उंगली मचल गई
न देखा झाँक खुद के गिरेबां में कभी
कहाँ-कहाँ, कब-कब तेरी नीयत फ़िसल गई
औरों पे फ़िकरे कसने से पहले तू देख तो ले
दोगली सीरत तेरी, कर तुझे कैसे ज़लील गई
औरों पे फ़िकरे कसने से पहले तू देख तो ले
दोगली सीरत तेरी, कर तुझे कैसे ज़लील गई
अब भरोसा करना गुनाह है ये जान ले
भलाई खुद की जां पे बन मुश्किल गई
चले थे किसी मासूम को बचाने मगर
नेकी से अपनी ही उंगलि झुलस गई
दगाबाज़ फ़रिश्ता बन फिरते यहाँ
अपनी नादानी; हो जी का जंजाल गई
अपनी नादानी; हो जी का जंजाल गई
सदियों से नाशुक्रे, ज़ालिम हैं लोग यहाँ
मीरा को ज़हर, ईसा को दी सलीब गई !
मीरा को ज़हर, ईसा को दी सलीब गई !