बहुत बहुत अच्छा लिखा है मैम आपने। सादर
bhaut hi khubsurat...
कितनी अक्खड़ता से बयान कर दी ज़िन्दगी की सच्चाई
जिंदगी की उतार चढ़ाव की अच्छी प्रस्तुति , बधाई ।
क्या बात कही आपने...खूबसूरत अभिव्यक्ति....सादर....
मरोड़ती है निचोड़ती हैजिंदगी खूब झिंझोड़ती हैपहले रिश्ता जोड़ती हैफिर न पीछा छोड़ती है.गम के धागों से बुनीचादर हमेशा ओढ़ती है.बहुत सुंदर रचना,बेशक.
bahot achcha likha ......
बख्शा है किस शय को इसनेअमृत को हाला में उड़ेलती हैbilkul shi.
बेहद सुंदर
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
बहुत बहुत अच्छा लिखा है मैम आपने।
ReplyDeleteसादर
bhaut hi khubsurat...
ReplyDeleteकितनी अक्खड़ता से बयान कर दी ज़िन्दगी की सच्चाई
ReplyDeleteजिंदगी की उतार चढ़ाव की अच्छी प्रस्तुति , बधाई ।
ReplyDeleteक्या बात कही आपने...
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति....
सादर....
मरोड़ती है निचोड़ती है
ReplyDeleteजिंदगी खूब झिंझोड़ती है
पहले रिश्ता जोड़ती है
फिर न पीछा छोड़ती है.
गम के धागों से बुनी
चादर हमेशा ओढ़ती है.
बहुत सुंदर रचना,बेशक.
bahot achcha likha ......
ReplyDeleteबख्शा है किस शय को इसने
ReplyDeleteअमृत को हाला में उड़ेलती है
bilkul shi.
बेहद सुंदर
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
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