हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
ज़िंदगी की बही में क्या करें दर्ज़ खुशियाँ या दर्द चुनिए सोच कर क्योंकि जब पलटेंगे पन्ने जीएँगे हम बार-बार हज़ार बार उन्हीं पलों को दे जाएँगे जो मुस्कान अधरों को या फिर आँसू नयनों को
-शील
जब पलटेंगे पन्ने
ReplyDeleteजीएँगे हम
बार-बार
हज़ार बार
उन्हीं पलों को
दे जाएँगे जो
मुस्कान लबों को
या फिर
आँसू नयनों को
बिल्कुल सही ...
ज़िन्दगी के पन्नों पर हम अपनी लिखने की कोशिश करते हैं,पर दर्ज वही होता है,जो समय चाहता है
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteRECENT POST बदनसीबी,
बहुत सही सोच ,......ग़मों को दोहराना क्या
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत खयाल ... जिंदगी की बही में हसीन पल ही दर्ज़ करने चाहिए ।
ReplyDeleteक्या बात है बहुत सही बात आपने बहुत सुंदर शब्दों में की...
ReplyDeleteआपको आपकी सौवीं ब्लॉग रचना के लियें मेरी तरफ से ढेर सारी बधाईयाँ और अशेष शुभ-कामनाएँ ...
लिखती रहें निरंतर शील जी ...
सस्नेह
गीता पंडित
बिल्कुल सही बात कही... सुशीला जी !
ReplyDelete~सादर!!!
जिन्दगी की बही में सिर्फ अच्छी यादों को दर्ज करना चाहिए..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,बहुत प्यारी रचना....
:-)
जिन्दगी की बही में खुद-ब-खुद दर्ज होती जाती हैं बातें.....
ReplyDeleteसेंचुरी की बधाई सुशीला दी...
अनु
बहुत खूब सुशीला जी.... जिंदगी कि बही में दर्ज बातें उम्र भर साथ रहती हैं..
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