वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Monday, 4 February 2013

ज़िंदगी की बही



ज़िंदगी की बही में
क्या करें दर्ज़
खुशियाँ या दर्द
चुनिए सोच कर
क्योंकि
जब पलटेंगे पन्ने
जीएँगे हम
बार-बार
हज़ार बार
उन्हीं पलों को
दे जाएँगे जो
मुस्कान अधरों को
या फिर
आँसू नयनों को
-
शील

चित्र : साभार गूगल

10 comments:

  1. जब पलटेंगे पन्ने
    जीएँगे हम
    बार-बार
    हज़ार बार
    उन्हीं पलों को
    दे जाएँगे जो
    मुस्कान लबों को
    या फिर
    आँसू नयनों को
    बिल्‍कुल सही ...

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  2. ज़िन्दगी के पन्नों पर हम अपनी लिखने की कोशिश करते हैं,पर दर्ज वही होता है,जो समय चाहता है

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  3. बहुत सही सोच ,......ग़मों को दोहराना क्या

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  4. बहुत खूबसूरत खयाल ... जिंदगी की बही में हसीन पल ही दर्ज़ करने चाहिए ।

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  5. क्या बात है बहुत सही बात आपने बहुत सुंदर शब्दों में की...
    आपको आपकी सौवीं ब्लॉग रचना के लियें मेरी तरफ से ढेर सारी बधाईयाँ और अशेष शुभ-कामनाएँ ...

    लिखती रहें निरंतर शील जी ...

    सस्नेह

    गीता पंडित

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  6. बिल्कुल सही बात कही... सुशीला जी !
    ~सादर!!!

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  7. जिन्दगी की बही में सिर्फ अच्छी यादों को दर्ज करना चाहिए..
    बहुत सुन्दर,बहुत प्यारी रचना....
    :-)

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  8. जिन्दगी की बही में खुद-ब-खुद दर्ज होती जाती हैं बातें.....

    सेंचुरी की बधाई सुशीला दी...

    अनु

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  9. बहुत खूब सुशीला जी.... जिंदगी कि बही में दर्ज बातें उम्र भर साथ रहती हैं..

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