कुछ हाइकु -
1
मिटे संशय
सद्गुरु की शरण
मन निर्भय ।
मिटे संशय
सद्गुरु की शरण
मन निर्भय ।
2
बोलें हैं नैन-
प्रीत की रीत यही
शब्द हैं मौन।
3.
रूहानी रिश्ते
जन्मों के हैं बंधन
तोड़े न टूटें ।
4
उड़ रे कागा
आते होंगे पाहुना
लीपूँ अँगना ।
5
बंद थी मुट्ठी
फिसलती ही गईं
रेत-सी साँसें ।
6
यही है प्यार
आत्मा से जुड़े आत्मा
देह के पार ।
आत्मा से जुड़े आत्मा
देह के पार ।
7
जुस्तजू तेरी
तिश्नगी में हैं साथ
उम्मीदें मेरी।
8
गहना नहीं
मोहे तो मोहे सखी
छब पिया की।
छब पिया की।
9.
रिश्ते जन्मों के
सँजोए हैं दिल में
मोती सीप के।
10.
तेरी बहियाँ
ख़ामोशी करे बातें
सारी रतियाँ ।
- शील
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसभी हाइकू बढ़िया हैं...!
सभी हाइकु बहुत सुन्दर. सुन्दर भाव...
ReplyDeleteजुस्तजू तेरी
तिश्नगी में हैं साथ
उम्मीदें मेरी।
गहना नहीं
मोहे तो मोहे सखी
छब पिया की।
बधाई.
सभी हायकू बहुत अच्छे लगे सुशीला जी.
ReplyDeleteख़ास यह पसंद आया...
बंद थी मुट्ठी
फिसलती ही गईं
रेत-सी साँसें ।
बहुत खूब !