वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Friday, 9 August 2013

तो मेरी भी ईद हो




कर सको इक वादा
तो मेरी भी ईद हो

मैं कहूँ – ईद मुबारक
तुम कहो – तीज की बधाई
घेवर-सेवैयाँ मिल कर खाएँ
तो मेरी भी ईद हो


हिन्दुस्तान घर तुम्हारा
हर हिन्दुस्तानी भाई प्यारा
लाँघ सको मज़हब की दीवार
तो मेरी भी ईद हो

तुम्हें ख़ुदा का वास्ता
ज़िंदगी का अमन ही रास्ता
दे सको यह कौल अगर
तो मेरी भी ईद हो


- शील

चित्र : साभार गूगल

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