वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Thursday, 15 August 2013

आज़ादी के हाइकु




१)
भारत प्यारा
वेदों की यह धरा
देश है न्यारा।

२)
भेद भुला के
गले मिल मनाएँ
जश्‍ने-आज़ादी ।

३)
देश स्वाधीन
शौर्य हुआ है पंगु
नेतृत्व बिन ।

४)
सशस्त्र फौजी
आत्म-रक्षा के लिए
माँगे स्वीकृति ।

५)
पूछे बिटिया
कब देगी आज़ादी
मुझे सुरक्षा।


६)
भूख, डर से
कर सको जो मुक्‍त
जी लूँ आज़ादी ।

७)
कफ़न ओढ़
सोया है चिर निद्रा
देश का बेटा।


- शील

चित्र - साभार गूगल

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शुक्रवार (16-08-2013) को बेईमान काटते हैं चाँदी:चर्चा मंच 1338 ....शुक्रवार... में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सीमा पर जवानों की हालत सबसे खराब है । देश हर मोर्चे पर विफल है । भारत को उसका खोया वैभव पुनः दिलवाना है और इसका आधार होगा स्वदेशी । सुन्दर रचना बधाई ।

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