वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Tuesday, 14 June 2011

माँ भारती के उद्गार.....




अक्सर याद आती है मुझे सन सत्तावन की लड़ाई 
जब आसमां पर आज़ादी की बिजली थी कौन्धियाई 
याद कर उस वीरांगना की तरुण,तेज़,तलवार की धार 
आँखों से झर-झर आँसू झरे; बही अनवरत अश्रु-धार !



उसके बाद शहीदों की है लम्बी एक कतार

जिसमे प्रमुख बापू ,तिलक,गोखलेऔर सरदार
सुभाषचंद्र, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जिनकी मेरे सीने में, अब भी हैं अमिट याद !

किस-किस का मैं नाम पुकारूं ?
अनगिनत थे वे मेरे सपूत हज़ारों 
जिन्होंने अपना रक्त बहाकर, किया जटिल काम महान 
स्वर्णिम अक्षरों में लिख गए; मेरी आज़ादी का फरमान !

आज़ादी की ख़ुशी में नाच उठा मेरा अंग-अंग
किन्तु शीघ्र ही जैसे; मेरा स्वपन हुआ भंग !भ्रमित, अचंभित, नि:शब्द मैं ; थी ये सोच रही भाई-भाई में द्वेष, नफ़रत ये कैसी पनप रही ?

हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई 
भेदभाव की क्यों दीवारें उठ आईं ?
मंदिर, मस्जिद, गिरजा और गुरुद्वारा 
श्रद्धा नहीं अब हथियारों का बने जखीरा !

जब भी किसी का खून है बहता
माँ का सीना चीत्कार उठता उन अमर वीरों की कुर्बानी न व्यर्थ गँवाओदीवानों अब भी; कुछ तो होश में आओ ?

माँ भारती के दिल की धड़कन तो पहचानो !
मेरी ही काया के भिन्न अंग हो तुम ये जानो 
खंडित होकर तुम, केवल विनाश को पाओगे 
नासमझो फिर से अपनी आज़ादी भी गँवाओगे !

धर्म,जाति,सम्प्रदायों में बँटकर, टूट और मिट ही जाओगे 
हिंसा, आंतक के सागर में; प्रेम और बंधुत्व कहाँ पाओगे?धर्म के नाम मौकापरस्तों ने सदा; दिए वो घाव, ऐसी टीसस्वर्णमंदिर, बाबरी, रथयात्रा; निरंतर वेदना रही है रिस !

पाकिस्तान, बांग्लादेश; तो कभी सुगबुगाए खालिस्तान 
निरंतर कश्मीर सुलगे, बोडो दह्काएँ मेरा शांत आसाम 
कभी मराठा हिंसक हो लें; कभी नक्सल बर्बर हो लें 
आतंकवाद कहर ढाए; दिल्ली, जयपुर, मुंबई दहलें !



कब तक नफ़रत, हिंसा, लहू, लाशें और विनाश ?

निर्माण की बातें करो, होने दो प्रगति और विकास
सहत्र कोटि बाहुबल, अब प्रगति-पथ पर डाल दोअतुल्य भारत को, नव-प्रभात, सुबह-सवेरा दो !

शस्य श्यामल धरा को, प्यार से सुवासित करो 
वात्सल्य से सींचो, देश-प्रेम से पोषित, सुदृढ़ करो 
गूंजें वेदवाणी, अज़ान, शबद, हिं (hymn)फिर से यहाँ 
विज्ञान-तकनीक से समृद्ध,ऐसी अनुपम धरा कहाँ !




No comments:

Post a Comment