वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 8 July 2012

शब्दों के पार



आँखों
की झील में
डूबते-उतराते
कभी तो दिल में उतरते
सुनते मौन को
महसूसते 
धड़कनों को
तो कितने ही सवालों के जवाब
तुम्हें मिल जाते !

- सुशीला शिवराण (श्योराण)

चित्र - साभार : गूगल


16 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..सुशीलाजी .आभार..

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    1. क्षणिका पसंद करने के लिए आभार Maheshwari Kaneri ji.

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  2. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता स्वरूप जी।

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  3. बहुत बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति,,,लाजबाब रचना,,,,

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  4. रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार dheerendra ji| जल्दी ही आपके ब्लॉग पर आँऊगी। व्यस्तताओं के चलते विलंब के लिए क्षमा ।

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  5. खामोशी की जुबां इसी कों तो कहते हैं ... उतर के दिल में चुपके चुपके सुनना ...

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  6. .....तभी तो मौन को सुन पाते ...बहुत सुन्दर सुशीलाजी

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  7. बहुत ही बढ़िया मैम!


    सादर

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  8. कल 15/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. सुन्दर भाव , कोमल अहसास युक्त बहुत बेहतरीन रचना..
    :-)

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  10. बहुत सुन्दर....
    कोमल एहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति.

    अनु

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  11. खूबसूरती से लिखे एहसास

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  12. शब्दों के पार मन की झील में गर कोई उतरे तो ही समझे न प्रेम की भाषा... सुन्दर रचना, बधाई.

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