पर्यावरण के हाइकु
१)
गंगा-यमुना
प्रदूषण की मारी
हुई उसांसी ।
२)
सुरसरिता
सींच के सभ्यताएँ
सूख न जाए !
३)
निर्मल धार
धो-धो सब का मैल
हुई मलिन ।
४)
वायुमंडल
अटा अब धुँए से
एसिड रेन !
५)
हैं प्रदूषित
जल के स्त्रोत सभी
रोगी मानव ।
६)
खाते जूठन
पॉलिथीन लिपटी
मरते पशु !
७)
ओज़ोन छिद्र
न रूके विकिरण
मिले कैसर !
८)
बधिर हुए
बसे स्टेशन-पास
गरीब लोग ।
९)
हर ली निद्रा
विकास की कीमत
चुकाएँ लोग।
ओज़ोन छिद्र
न रूके विकिरण
मिले कैसर !
८)
बधिर हुए
बसे स्टेशन-पास
गरीब लोग ।
९)
हर ली निद्रा
विकास की कीमत
चुकाएँ लोग।
१०)
दमा, तनाव
रक्तचाप के रोग
दे प्रदूषण ।
११)
करो उपाए
रोक लो प्रदूषण
वृक्ष उगाओ !
१२)
दें ऑक्सीजन
ले के दूषित हवा
वृक्ष हैं वैद्य !
- शील
चित्र : साभार गूगल
करो उपाए
रोक लो प्रदूषण
वृक्ष उगाओ !
१२)
दें ऑक्सीजन
ले के दूषित हवा
वृक्ष हैं वैद्य !
- शील
चित्र : साभार गूगल
गंगा-यमुना
ReplyDeleteप्रदूषण की मारी
हुई उसांसी ।
पर्यावरण पर अति सुन्दर हाइकु,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
आज 10- 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ... खुद की तलाश .ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
सुरसरिता
ReplyDeleteसींच के सभ्यताएँ
सूख न जाए !
- गंगा के बिना भारत की कल्पना करना मुश्किल है.सरस्वती कब की सूख चुकी
वह संस्कृति काल के गाल में समा गई . अब सुरसरिता के साथ हमारा वर्तमान &भविष्य जुड़ा है!
संदेशात्मक हाइकु
ReplyDeleteबेहतरीन अर्थपूर्ण हाइकु
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
:-)
बहुत अच्छे व अर्थपूर्ण हाइकू !
ReplyDeleteबधाई सुशीला जी !:)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपका ब्लाग और सामग्री बहुत सुंदर है. हार्दिक बधाई.
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