मेरे दीपक जल !
जगर-मगर मेरे दीपक जल
चल छोड़ महल कुटिया में चल
दीन-दुखी का कुछ तो हर तम
जगर-मगर मेरे दीपक जल
चल छोड़ महल कुटिया में चल
दीन-दुखी का कुछ तो हर तम
बुझी
ज़िंदगियाँ रोशन कर।
ईंट-भट्टी में झुलसता बचपन
शीशे की आंच में सिकता लड़कपन
आतिश की कालिख में घुलता
बुझता बचपन, आलोकित कर ।
देह का बाज़ार दलदल में सना
जिस्म नुचता मंडियों में बेपनाह
इस नर्क से मुक्ति पाए जिन्दगी
नाउम्मीदी के तम में उम्मीद भर ।
बुढ़ापे की देहरी पर जब उलट जाए
अपनों का बरताव, रिश्तों का कलश
स्नेह और विश्वास से सींचा जिसे उम्र भर
जीवन संध्या में कोई उजास कर ।
जगर-मगर मेरे दीपक जल ।
- शील
चित्र : साभार गूगल
ईंट-भट्टी में झुलसता बचपन
शीशे की आंच में सिकता लड़कपन
आतिश की कालिख में घुलता
बुझता बचपन, आलोकित कर ।
देह का बाज़ार दलदल में सना
जिस्म नुचता मंडियों में बेपनाह
इस नर्क से मुक्ति पाए जिन्दगी
नाउम्मीदी के तम में उम्मीद भर ।
बुढ़ापे की देहरी पर जब उलट जाए
अपनों का बरताव, रिश्तों का कलश
स्नेह और विश्वास से सींचा जिसे उम्र भर
जीवन संध्या में कोई उजास कर ।
जगर-मगर मेरे दीपक जल ।
- शील
चित्र : साभार गूगल
बहुत सुंदर व भावपूर्ण रचना !
ReplyDelete"दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !" :-)
आभार सहित आपको भी सपरिवार प्रकाश-पर पर शुभकामनाएँ!
Deleteदीपोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
ReplyDeleteसादर
आपको भी उजास-पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
Delete
ReplyDeleteदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कल 14/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत जी।
Deleteबहुत भावपूर्ण रचना .... कम से कम एक दिया तो हर कुटिया में रोशनी फैलाये ...
ReplyDeleteअपने मन के उजास से अपने आस-पास को प्रकाशित करेंगे संगीता जी। आभार
Deleteमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
ReplyDeleteदीप पर्व की आपको व आपके परिवार को ढेरों शुभकामनायें
इस सुंदर संदेश और शुभकामनाओं के लिए ह्रदय से आभार वंदना जी। प्रकाश-पर्व आपके और आपके प्रियजनों के जीवन को भी उजासित करे।
Deleteआभार सहित
भावपूर्ण खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्र्या मधु जी।
Deleteईंट-भट्टी में झुलसता बचपन
शीशे की आंच में सिकता लड़कपन
...
देह का बाज़ार दलदल में सना
जिस्म नुचता मंडियों में बेपनाह ...
वीभत्स यथार्थ का चित्र उकेरा है आपने ...
प्रभावशाली रचना के लिए साधुवाद !
सबका मंगल हो ...
सबका कल्याण हो ...
आप के लेखन से प्रेरणा मिलती है भाई सा।
Deleteउत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से आभार।
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
इस लाजवाब दोहे के लिए नमन आपको।
Deleteआपको भी सपरिवार दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ भाई सा।
बहुत अच्छी कामना के साथ दीप जलाया है ..इसे प्रज्ज्वलित ही रखें!
ReplyDeleteअवश्य शालिनी मैम। जीवन को थोड़ा तो सार्थक बनाएँ।
Deleteआभार
आभार धीरेन्द्र सिंह जी।
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार प्रकाश-पर पर शुभकामनाए~म !
आपका ग्रीटिंग कार्ड भी बेहद सुंदर है। धन्यवाद।
ReplyDeleteदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति ..आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
ReplyDelete...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..
बुढ़ापे की देहरी पर जब उलट जाए
ReplyDeleteअपनों का बरताव, रिश्तों का कलश
स्नेह और विश्वास से सींचा जिसे उम्र भर
जीवन संध्या में कोई उजास कर ।
....आज के यथार्थ की बहुत सटीक अभिव्यक्ति...दीपोत्सव की हार्दिक मंगलकामनायें!
yatharthwadi rachna.. aur deewali par sateeek bhi
ReplyDeletebahut behtareeen:)