पधारो म्हारै देस
रंग-रंगीलो, छैल-छबीलो यो है म्हारो राजस्थान
धोरा-री औ वीरां-री अं धरती न म्हारो परणाम |
दाल-बाटी, लापसी और मीठा चूरमा
राणा प्रताप, साँगा जिसा आठे सूरमा |
राणी पद्मिनी औ पद्द्मावती जैको अभिमान
अजमेर-शरीफ़, पुष्कर, जयपुर ज़िंकी शान !
मेरा देस है राजा और रजवाड़ों का
मरुभूमि, झील, नदी, पहाड़ों का |
दुर्ग, हवेली, रण, जौहर औ तलवार का
चित्तौड़,जयपुर, मेवात, मारवाड़ का |
संक्रात, तीज, गेर, गुगा और गणगौर का
मेहंदी, घूमर, सारंगी, मोरचंग औ मोर का |
क्या इसका बखान करूँ है सब बहुत बिसेस
यही कहूँ- केसरिया बालम पधारो म्हारै देस !
अपनी मिट्टी से जुड़ी रचना सुंदर बन पड़ी है.
ReplyDeleteक्या इसका बखान करूँ है सब बहुत बिसेस
ReplyDeleteयही कहूँ- केसरिया बालम पधारो म्हारै देस !
very nice post
Thank you Bhushanji and Shuklaji for liking my post|
ReplyDeleteभोत ई जोरदार मांड्यो सा---बधायजै आप नै !
ReplyDeleteऔर लिखो--लिखता ई जाओ सा !
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रंग-रंगीलो, छैल-छबीलो यो है म्हारो राजस्थान
धोरां-री अर वीरां-री ईं धरती नै म्हारो परणाम |
दाळ-बाटी, लापसी अर मीठा चूरमा
राणा प्रताप, साँगा जेडा़ अठै सूरमा |
राणी पदमण अर पदमावती जिण री आण
अजमेर-शरीफ़, पुष्कर, जयपुर जिण री शान !
ओम पुरोहित कागद सा!
ReplyDeleteथारै पारस जिसै हाथा सूँ म्हारा आखर खिल उठ्या। घणू उपकार थारो सा। आगै भी आ कॄपा बणाई राखियो ।
wha wha susila g. mhare kane sabad nai khn vaste asha he aap khud samajh jyasyo.
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