वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Thursday, 4 August 2011

पधारो म्हारै देस



 पधारो म्हारै देस 


रंग-रंगीलो, छैल-छबीलो यो है म्हारो राजस्थान 

धोरा-री वीरां-री अं धरती म्हारो परणाम |


दाल-बाटी, लापसी और मीठा चूरमा 

राणा प्रतापसाँगा जिसा आठे सूरमा |


राणी पद्मिनी पद्द्मावती जैको अभिमान 

अजमेर-शरीफ़पुष्करजयपुर ज़िंकी शान !

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मेरा देस है राजा और रजवाड़ों का 

मरुभूमि, झील, नदी, पहाड़ों का |


दुर्ग, हवेली, रण, जौहर तलवार का 

चित्तौड़,जयपुर, मेवात, मारवाड़ का |


संक्रात, तीजगेरगुगा और गणगौर का 

मेहंदी, घूमर, सारंगी, मोरचंग  मोर का |


क्या इसका बखान करूँ है सब बहुत बिसेस 

यही कहूँ- केसरिया बालम पधारो म्हारै देस !



6 comments:

  1. अपनी मिट्टी से जुड़ी रचना सुंदर बन पड़ी है.

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  2. क्या इसका बखान करूँ है सब बहुत बिसेस

    यही कहूँ- केसरिया बालम पधारो म्हारै देस !

    very nice post

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  3. Thank you Bhushanji and Shuklaji for liking my post|

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  4. भोत ई जोरदार मांड्यो सा---बधायजै आप नै !
    और लिखो--लिखता ई जाओ सा !
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    रंग-रंगीलो, छैल-छबीलो यो है म्हारो राजस्थान

    धोरां-री अर वीरां-री ईं धरती नै म्हारो परणाम |


    दाळ-बाटी, लापसी अर मीठा चूरमा

    राणा प्रताप, साँगा जेडा़ अठै सूरमा |


    राणी पदमण अर पदमावती जिण री आण
    अजमेर-शरीफ़, पुष्कर, जयपुर जिण री शान !

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  5. ओम पुरोहित कागद सा!

    थारै पारस जिसै हाथा सूँ म्हारा आखर खिल उठ्या। घणू उपकार थारो सा। आगै भी आ कॄपा बणाई राखियो ।

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  6. wha wha susila g. mhare kane sabad nai khn vaste asha he aap khud samajh jyasyo.

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