नया है ज़माना, अब नया दस्तूर है
छड़ी का डर दिलों से हो गया काफूर है
अब बच्चे हैं डार्लिंग और दोस्त बड़े प्यारे
हैं अनमोल मोती; सबकी आँखों के तारे !छड़ी का डर दिलों से हो गया काफूर है
अब बच्चे हैं डार्लिंग और दोस्त बड़े प्यारे
पढ़ाई का ज़रिया हैं खेल,नाटक और चलचित्र,
इन्टरनेट हरदम साथ, बन गया है परम मित्र
अब याद करना,रटना,नहीं; सोचना सिखाना है
हर विद्यार्थी को हरफनमौला इंसान बनाना है !
हर विद्यार्थी को हरफनमौला इंसान बनाना है !
अभिभावक देर रात ड्यूटी से आते
नौनिहालों को सोता हुआ ही पाते
पलते आया की आगोश में; प्यार कहाँ पाते !
एक मुस्कुराहट पा; शिक्षकों से लिपट जाते |
अभिभावक देर रात ड्यूटी से आते
ReplyDeleteनौनिहालों को सोता हुआ ही पाते
पलते आया की आगोश में; प्यार कहाँ पाते !
समय का यथार्थ.
A painful reality Bhushanji!
ReplyDeleteThank you for reading the poem and commenting!