वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Monday, 1 August 2011

शिक्षण





नया है ज़माना, अब नया दस्तूर है 
छड़ी का डर दिलों से हो गया काफूर है
अब बच्चे हैं डार्लिंग और दोस्त बड़े प्यारे 
हैं अनमोल मोतीसबकी आँखों के तारे !


पढ़ाई का ज़रिया हैं खेल,नाटक और चलचित्र,
  इन्टरनेट हरदम साथ, बन गया है परम मित्र 
   अब याद करना,रटना,नहीं; सोचना सिखाना है
    हर विद्यार्थी को हरफनमौला इंसान बनाना है !



अभिभावक देर रात ड्यूटी से आते 
नौनिहालों को सोता हुआ ही पाते 
पलते आया की आगोश में; प्यार कहाँ पाते
एक मुस्कुराहट पा; शिक्षकों से लिपट जाते



2 comments:

  1. अभिभावक देर रात ड्यूटी से आते
    नौनिहालों को सोता हुआ ही पाते
    पलते आया की आगोश में; प्यार कहाँ पाते !

    समय का यथार्थ.

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  2. A painful reality Bhushanji!

    Thank you for reading the poem and commenting!

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