थोड़ा कम है ! |
नेकनामी के बहुत हैं हमारे चर्चे
उघड़ें परतें, सरे आम हो जाएँ चर्चे
उघड़ें परतें, सरे आम हो जाएँ चर्चे
सनद और काबिलियत की कमी कहाँ
इम्तिहां में हमने खूब चलाए पर्चे
इम्तिहां में हमने खूब चलाए पर्चे
न मिली हमें शोहरत ज़रा भी
न पूछो कितने छपवाए पर्चे
न पूछो कितने छपवाए पर्चे
नाते-रिश्ते,ब्याह,भात,उठाव णी
कैसे-कैसे हमने निभाए खर्चे
कैसे-कैसे हमने निभाए खर्चे
यूँ तो हममें है ईमानदारी बहुत
दुनिया की रीत हम भी निभाएँ अगर्चे
दुनिया की रीत हम भी निभाएँ अगर्चे
-सुशीला श्योराण
चित्र : आभार गूगल
गज़ल के रूप में ये कुछ यूँ ढल गई -
चित्र : आभार गूगल
गज़ल के रूप में ये कुछ यूँ ढल गई -
शहर में नेकी के बड़े हमारे चर्चे
सरका नकाब, हुए आम हमारे चर्चे
सनद और होशियारी की मिसाल हम
ये हैं फ़र्ज़ी, ऎसे हुए हमारे चर्चे
खुदाया ना मिली हमें शोहरत ज़रा
हरसू इश्तिहार , ना हुए हमारे चर्चे
तीज़-त्योहार,ब्याह-सगाई,उठावना
खोला किए खज़ाने , न हुए हमारे चर्चे
यूँ तो है ज़ज़्बा-ए-ईमानदारी बहुत
रिश्वतखोरी के आम हुए हमारे चर्चे
-सुशीला श्योराण