मेरा अज़ीज़ जो मेरे पास ठहर जाता है
ये कायनात हर लमहा वहीं ठहर जाता है
खुद भी कभी अपना वज़ूद हम पे लुटा के देख
क्यूँ दो कदम चल तेरा यकीन ठहर जाता है
बेपनाह की है मुहब्बत उससे , रहे बावफ़ा
बेपनाह की है मुहब्बत उससे , रहे बावफ़ा
न जाने क्यूँ वो हम पे इतना कहर ढाता है
जो ज़ख्म उसने दिए,बने हैं नासूर ज़िंदगी के
जो ज़ख्म उसने दिए,बने हैं नासूर ज़िंदगी के
महफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता है
खुद से वादा किया न करेंगे दीदार तेरा
फ़िर क्यूँ तेरा ख्याल मुझे हर पहर आता है
-सुशीला शिवराण
-सुशीला शिवराण
चित्र - साभार google
खूबसूरत
ReplyDeleteखुद से वादा किया न करेंगे दीदार तेरा
ReplyDeleteफ़िर क्यूँ तेरा ख्याल मुझे हर पहर आता है
दिले नादान, यही तो मोहब्बत कहलाता है।
कितनी संवेदनशील गजल,,,
वाह...
ReplyDeleteसुन्दर गज़ल...
उसने दिए जो ज़ख्म बने हैं नासूर ज़िंदगी के
ReplyDeleteमहफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता है... kya baat hai !
बेहतरीन भावपूर्ण गज़ल...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteसादर
क्यूँ दो कदम चल तेरा यकीन ठहर जाता है....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत... वाह! उम्दा अशार...
सादर।
khubsurat
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर..
ReplyDeleteबढ़िया गजल....
बहुत अच्छी गज़ल है। वास्तव में गज़ल का विषय अच्छा हो तो वह सुकून देता है। इस गज़ल में वही सुकून का एहसास हो रहा है। सुशीलाजी आप लगातार लिखा करिए। मेरी ओर से ढेरों बधाईयाँ। परमात्मा आपकी लेखनी में बरकत दे।
ReplyDeleteजो सबसे अज़ीज़ हो,
ReplyDeleteवह कहाँ दिलो दिमाग से जा पाता है ....
जहाँ देखे जिधर देखें हम....
चेहरा उसका हर सू नज़र आता है
उसने दिए जो ज़ख्म बने हैं नासूर ज़िंदगी के
ReplyDeleteमहफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता हैvery nice....
बेपनाह की है उससे मुहब्बत, रहे बावफ़ा
ReplyDeleteन जाने क्यूँ वो हम पे इतना कहर ढाता है
वाह ... बहुत खूबसूरत गजल
उसने दिए जो ज़ख्म बने हैं नासूर ज़िंदगी के
ReplyDeleteमहफ़िल में सबसे मासूम वो नज़र आता है
hasil e gazal sher hai ye! mujeh aisa laga!
bahut hi khoobsurat ashaar1
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
दिल को छूती सुंदर ग़ज़ल बनी है.
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