आओ सारे बंधन तोड़ें
बंधन पीर दे जाते हैं
आज बादलों संग उड़ें
देह वसन दे जाते हैं !
विचरेंगे जब अनंत गगन
मन में लिए तेरी लगन
खुदी में होंगे हम मगन
रूहों का संगम, नहीं बदन !
जन्म-मरण का न फेरा होगा
अपनी साँझ औ सवेरा होगा
वहाँ बंदिशों का न घेरा होगा
चँदा औ तारों में बसेरा होगा !
झिलमिल तारे अँगना होंगे
पिछवाड़े हरसिंगार झरेंगे
नित खुशबुओं के डेरे होंगे
सीले झोंके पुरवाई होंगे !
अनंत व्योम विस्तार होगा
छूटा निर्मोही संसार होगा
हर दुख का निस्तार होगा
शाश्वत प्रेम अपार होगा !
रूह को रूह जब पाएगी
सारी सृष्टि खिल जाएगी
दिव्य गीत कोई गाएगी
पावन प्रीत मुस्काएगी !
-सुशीला शिवराण
चित्र - साभार गूगल