वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday, 28 April 2012

आओ सारे बंधन तोड़ें



आओ सारे बंधन तोड़ें
बंधन पीर दे जाते हैं
आज बादलों संग उड़ें
देह वसन दे जाते हैं !

विचरेंगे जब अनंत गगन
मन में लिए तेरी लगन
खुदी में होंगे हम मगन
रूहों का संगम, नहीं बदन !

जन्म-मरण का न फेरा होगा
अपनी साँझ औ सवेरा होगा

वहाँ
 बंदिशों का न घेरा होगा
चँदा औ तारों में बसेरा होगा !

झिलमिल तारे अँगना होंगे
पिछवाड़े हरसिंगार झरेंगे

नित
खुशबुओं के डेरे होंगे
सीले झोंके पुरवाई होंगे !

अनंत व्योम विस्तार होगा
छूटा निर्मोही संसार होगा
हर दुख का निस्तार होगा
शाश्‍वत प्रेम अपार होगा !

रूह को रूह जब पाएगी
सारी सृष्‍टि खिल जाएगी

दिव्य गीत कोई गाएगी
पावन प्रीत मुस्काएगी !



-सुशीला शिवराण

चित्र - साभार गूगल

Saturday, 21 April 2012

ज़िंदगी







मृगतृष्‍णा


नखलिस्तान..


किन-किन रूपों में बुलाती


लुभाती हो ज़िंदगी


दौड़ती हूँ बाँहों में भर लूँ


कुछ पल जी भर जी लूँ


सजाए थे जो सपन


हकीकत कर लूँ


अरमान से बढ़े कदम


तृप्‍ति की अभिलाष


मृगतृष्‍णा ही रही तुम


कायम रही प्यास !






-सुशीला शिवराण

Saturday, 14 April 2012

कुछ हाइकु


कुछ हाइकु -

१.

मुद्दतें हुईं

खुल के हँसा है वो

रोने के बाद


२.

ओस की बूँद

रात रोई है धरा

दर्द गहरा


३.

रजनीगंधा

महकाए रतियाँ

सुबह न आ


४)

बौराए आम

कूके है कोय
लिया

मन विभोर


५)

ख्वाहिशें मेरी

भटकें दिन रैन

तुम बेपीर


६)

चाहत मेरी 

एक मुट्‍ठी आसमां

पाए दो जहां


-
सुशीला शिवराण

Saturday, 7 April 2012

जला है जिया.......







जला है जिया.......

गीली लकड़ी सा धुँआ

लिपटा है वज़ूद से

कलेजे की हूक से
भीगी पलकों से
उलझी अलकों से

नम गालों से
बिखरे बालों से

लरजते होंट से
मन की चोट से...


कलेजा भिंचता सा
अंतस में कुछ खिंचता सा

गले में कुछ अटका सा
किरच-किरच दिल टूटता सा

श्‍वास कुछ-कुछ रूकता सा....
बाँच के पाती
कहता है मीत -



मेरी शांति के लिए
मुझे कुछ दे सकते हो?

दफ़ना दो अहसासों को 
प्यार भरी बातों को
मधुर यादों को

हसीन ख्वाबों को
बिसरा दो मुझे
और हर उस शय को
जो मुझसे जुड़ी है

बोलो मेरी शांति के लिए
क्या मुझे ये दे सकते हो !


-
सुशीला शिवराण 

चित्र : साभार गूगल