अरमान से बढ़े कदमतृप्ति की अभिलाषमृगतृष्णा ही रही तुमकायम रही प्यास !बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
मृगतृष्णा ही रही तुम... यही निष्कर्ष मिला
तृप्ति की अभिलाषमृगतृष्णा ही रही तुमकायम रही प्यास !बेहतरीन ।
ख़ूबसूरत भाव, सुन्दर रचना.कृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .
अतृप्त ज़िंदगी .... सुंदर रचना
जोंदगी भी तो खेल खेलती है हर पल ... अलग अलग तरह से ..
सुंदर भावनाओं की कोमल अभिव्यक्ति.
इसी को ज़िन्दगी कहते हैं ...किसीके हाथ नहीं आती ...सुन्दर रचना सुशिलाजी
umda..rachna
अरमान से बढ़े कदम
ReplyDeleteतृप्ति की अभिलाष
मृगतृष्णा ही रही तुम
कायम रही प्यास !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
मृगतृष्णा ही रही तुम... यही निष्कर्ष मिला
ReplyDeleteतृप्ति की अभिलाष
ReplyDeleteमृगतृष्णा ही रही तुम
कायम रही प्यास !
बेहतरीन ।
ख़ूबसूरत भाव, सुन्दर रचना.
Deleteकृपया मेरी १५० वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें , अपनी राय दें , आभारी होऊंगा .
अतृप्त ज़िंदगी .... सुंदर रचना
ReplyDeleteजोंदगी भी तो खेल खेलती है हर पल ... अलग अलग तरह से ..
ReplyDeleteसुंदर भावनाओं की कोमल अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteइसी को ज़िन्दगी कहते हैं ...किसीके हाथ नहीं आती ...सुन्दर रचना सुशिलाजी
ReplyDeleteumda..rachna
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