जला है जिया.......
गीली लकड़ी सा धुँआ
लिपटा है वज़ूद से
कलेजे की हूक से
भीगी पलकों से
उलझी अलकों से
नम गालों से
बिखरे बालों से
लरजते होंट से
मन की चोट से...
कलेजा भिंचता सा
अंतस में कुछ खिंचता सा
गले में कुछ अटका सा
किरच-किरच दिल टूटता सा
श्वास कुछ-कुछ रूकता सा....
बाँच के पाती
कहता है मीत -
मेरी शांति के लिए
मुझे कुछ दे सकते हो?
दफ़ना दो अहसासों को
प्यार भरी बातों को
मधुर यादों को
हसीन ख्वाबों को
बिसरा दो मुझे
और हर उस शय को
जो मुझसे जुड़ी है
बोलो मेरी शांति के लिए
क्या मुझे ये दे सकते हो !
-सुशीला शिवराण
चित्र : साभार गूगल
दर्द से भरे एहसास ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
shubhkamnayen .....
बोलो मेरी शांति के लिए
ReplyDeleteक्या मुझे ये दे सकते हो !
वाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति........
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
बहुत सुंदर...........
ReplyDeleteदर्द भरे एहसासों से पगी रचना.....
दफ़ना दो अहसासों को
प्यार भरी बातों को
मधुर यादों को
हसीन ख्वाबों को
बिसरा दो मुझे
और हर उस शय को
जो मुझसे जुड़ी है
वाह.......................
अनु
bahut khubsurat ehasas
ReplyDeleteमेरी शांति के लिए
ReplyDeleteमुझे कुछ दे सकते हो?
दफ़ना दो अहसासों को
प्यार भरी बातों को
मधुर यादों को
हसीन ख्वाबों को
बिसरा दो मुझे
और हर उस शय को
जो मुझसे जुड़ी है
बोलो मेरी शांति के लिए
क्या मुझे ये दे सकते हो !... गहरे एहसास
बढ़िया रचना . .
ReplyDeletebahut sundar.....
ReplyDeleteati sundar....
ReplyDeleteप्रेम कई बार बहुत कठिन चीज़ माँगता है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteमन के दर्द को अभिव्यक्त करने वाले भाव ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteक्या जरूरी है उन चीज़ों के मिलने से शान्ति आ जाए ... कुछ प्रश्न खड़े करती है अंतस से ये रचना ...
ReplyDeleteman ko chuti rachna
ReplyDeleteमेरी शांति के लिए
ReplyDeleteमुझे कुछ दे सकते हो?
दफ़ना दो अहसासों को
प्यार भरी बातों को
मधुर यादों को
हसीन ख्वाबों को
बिसरा दो मुझे
और हर उस शय को
जो मुझसे जुड़ी है
बोलो मेरी शांति के लिए
क्या मुझे ये दे सकते हो !
बहुत सुन्दर गहरे अहसास लिए कविता ....सुशिलाजी
बहुत सुन्दर ..दर्द से भरपूर ...
ReplyDeleteमेरी शांति के लिए
ReplyDeleteमुझे कुछ दे सकते हो?
ye dena hi to mushkil hai....
दफ़ना दो अहसासों को
ReplyDeleteप्यार भरी बातों को
मधुर यादों को
हसीन ख्वाबों को
बिसरा दो मुझे
और हर उस शय को
जो मुझसे जुड़ी है -
-इन पंक्तियों में गहन व्यथा अन्तर्निहित है ।