आज फिर गोलू
पहुँचा अपनी प्यारी दुनिया में
खुशबुओं की क्यारी में
रंग-बिरंगे फूल खिले थे
हरे पेड़ तन कर खड़े थे
भँवरे गुंजन कर रहे थे
पक्षी खूब चहक रहे थे
नाचा बहुत सुंदर मोर
कारे बदरा सुहानी भोर
पंछी उड़ते नीड़ की ओर
उसे खींचते अपनी ओर।
गाल पे आ बैठी एक तितली
उसकी प्यारी मुस्कान खिली
भाई उसे खूब ये दुनिया
कूची, रंगों में समेट ये दुनिया
पुलकित गोलू पहुँचा रसोई
भीतर से मम्मी बड़बड़ाईं
सहमे-सहमे ही चित्र बढ़ाया
"हूँ मसरूफ़", मम्मी चिल्लाई
भारी कदमों पहुँचा रीडिंग रूम
कंप्यूटर चालू पापा गुम
धीरे से पुकारा,"पापा"
बिन देखे झल्लाए पापा -
"देखते नहीं कितनी मसरूफ़ियत है?बाद में कहना!"
- सुशीला शिवराण
चित्र - साभार गूगल
पहुँचा अपनी प्यारी दुनिया में
खुशबुओं की क्यारी में
रंग-बिरंगे फूल खिले थे
हरे पेड़ तन कर खड़े थे
भँवरे गुंजन कर रहे थे
पक्षी खूब चहक रहे थे
नाचा बहुत सुंदर मोर
कारे बदरा सुहानी भोर
पंछी उड़ते नीड़ की ओर
उसे खींचते अपनी ओर।
गाल पे आ बैठी एक तितली
उसकी प्यारी मुस्कान खिली
भाई उसे खूब ये दुनिया
कूची, रंगों में समेट ये दुनिया
पुलकित गोलू पहुँचा रसोई
भीतर से मम्मी बड़बड़ाईं
सहमे-सहमे ही चित्र बढ़ाया
"हूँ मसरूफ़", मम्मी चिल्लाई
भारी कदमों पहुँचा रीडिंग रूम
कंप्यूटर चालू पापा गुम
धीरे से पुकारा,"पापा"
बिन देखे झल्लाए पापा -
"देखते नहीं कितनी मसरूफ़ियत है?बाद में कहना!"
- सुशीला शिवराण
चित्र - साभार गूगल