कोख में सहेज
रक्त से सींचा
स्वपनिल आँखों ने
मधुर स्वपन रचा
जन्म दिया सह दुस्तर पीड़ा
बलिहारी माँ देख मेरी बाल-क्रीड़ा !
गूँज उठा था घर आँगन
सुन मेरी किलकारी
मेरी तुतलाहट पर
माँ जाती थी वारी-वारी !
उसकी उँगली थाम
मैंने कदम बढ़ाना सीखा
हर बाधा, विपदा से
जीत जाना सीखा !
चोट लगती है मुझे
सिसकती है माँ
दूर जाने पे मेरे
बिलखती है माँ !
ममता है, समर्पण है
दुर्गा-सी शक्ति है माँ
मेरी हर ख़ुशी के लिए
ईश की भक्ति है माँ !
माँ संजीवनी है
दुखों का अवसान है
ईश का रूप
प्रभु का नूर है
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !
-सुशीला शिवराण
...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति....सुशीला जी
ReplyDeleteचार पंक्तियाँ माँ के सम्मान में ,...
माँ की ममता का कोई पर्याय हो नहीं सकता
पूरी दुनिया में माँ तेरे जैसा कोई हो नही सकता
माँ तेरे चरण छूकर सलाम करता हूँ
सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ..
अति सुंदर भाव पुर्ण अभिव्यक्ति ,...
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
सचमुच...पूरी कायनात है माँ......
ReplyDeleteसुंदर भाव सुशीला जी.
अनु
माँ संजीवनी है
ReplyDeleteदुखों का अवसान है
ईश का रूप
प्रभु का नूर है
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !
बहुत सुंदर ... मातृ दिवस की शुभकामनायें
माँ की ममता से भरी कविता | बहुत खुबसूरत रचना के लिए बधाई| मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद |
ReplyDeleteआपका ब्लॉग बहुत प्रशंशनीय है |
माँ दुनिया का अजीज शब्द है |
Deleteमाँ शब्द की परिचर्चा करते करते थक जायेंगे फिर भी कम होगी | धन्यवाद |
माँ दुनिया का अजीज शब्द है |
ReplyDeleteमाँ शब्द की परिचर्चा करते करते थक जायेंगे फिर भी कम होगी | धन्यवाद |
माँ संजीवनी है
ReplyDeleteदुखों का अवसान है
....sahi bat hai....ma se badhkar koi nhi...
चोट लगती है मुझे
ReplyDeleteसिसकती है माँ
BEAUTIFUL LINE AND ALL LINES ARE SO NICE.
तस्वीर ने माँ को रच दिया
ReplyDeleteमां तूं घणी महान
ReplyDeleteदुनिया दिखाई म्हानै
माणस बणाया म्हानै
गीलै में खुद तूं सोई
सूकै सुयाया म्हानै
जग में बणाई स्यान
मां तूं घणी महान।।
तेरी थां न कोई लेवै
भगवान भी है छोटौ
तेरौ हाथ म्हारै सिर पर
कियां पड़ैगौ टोटौ
जीवण दियौ तूं दान
मां तूं घणी महान।।
चरणां में तेरै अरपित
जीवण सदा मैं करस्यूं
करजाऊ सदांई रै'स्यूं
करजौ कियां मैं भरस्यूं
दिन-रात तेरौ ध्यान
मां तूं घणी महान।।
-दीनदयाल शर्मा,
बाल साहित्यकार,
हनुमानगढ़, राजस्थान
मोबाइल : 09414514666
माँ तू आंगन मैं किलकारी,
ReplyDeleteमाँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।
दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।
मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।
कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।
-दीनदयाल शर्मा,
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत
ईश का रूप
ReplyDeleteप्रभु का नूर है
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !
बहुत सुंदर भाव ... मातृ दिवस की शुभकामनायें
माँ संजीवनी है
ReplyDeleteदुखों का अवसान है
ईश का रूप
प्रभु का नूर है
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !
.....बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....
माँ की व्याख्या को शब्दों में बांधना मुश्किल है ...चाहे जितना कह लो , बहुत कुछ अनकहा ही रह जाता है .......बहुत सुन्दर सुशिलाजी ...और तस्वीर ने पूरी कविता को सजीव कर दिया......
ReplyDeleteमाँ ही इस कायनात में लाइ है तो वही तो कायनात भी है ... भगवान भी है और देव भी है ...
ReplyDeleteउसके असीम व्यक्तित्व कों शब्दों में उतारना कठिन है ...
मातृत्व की गरिमा को अभिव्यक्त करती मार्मिक कविता । भावों के इन्द्रधनुषी रंग इस रचना को और भी अधिक खूबसूरत बना दे रहे हैं । बहुत बधाई सुशीला जी !
ReplyDelete'मां' के दर्शन हो गये.
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