वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 13 May 2012

माँ




कोख में सहेज

रक्त से सींचा

स्वपनिल आँखों ने

मधुर स्वपन रचा

जन्म दिया सह दुस्तर पीड़ा

बलिहारी माँ देख मेरी बाल-क्रीड़ा !



गूँज उठा था घर आँगन

सुन मेरी किलकारी

मेरी तुतलाहट पर

माँ जाती थी वारी-वारी !



उसकी उँगली थाम

मैंने कदम बढ़ाना सीखा

हर बाधा, विपदा से

जीत जाना सीखा !



चोट लगती है मुझे

सिसकती है माँ

दूर जाने पे मेरे

बिलखती है माँ !



ममता है, समर्पण है

दुर्गा-सी शक्‍ति है माँ

मेरी हर ख़ुशी के लिए

ईश की भक्ति है माँ !



माँ संजीवनी है

दुखों का अवसान है

ईश का रूप

प्रभु का नूर है

एक अनमोल तोहफा

सारी कायनात है माँ !


-सुशीला शिवराण

17 comments:

  1. ...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति....सुशीला जी

    चार पंक्तियाँ माँ के सम्मान में ,...

    माँ की ममता का कोई पर्याय हो नहीं सकता
    पूरी दुनिया में माँ तेरे जैसा कोई हो नही सकता
    माँ तेरे चरण छूकर सलाम करता हूँ
    सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ..

    अति सुंदर भाव पुर्ण अभिव्यक्ति ,...

    MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  2. सचमुच...पूरी कायनात है माँ......

    सुंदर भाव सुशीला जी.

    अनु

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  3. माँ संजीवनी है

    दुखों का अवसान है

    ईश का रूप

    प्रभु का नूर है

    एक अनमोल तोहफा

    सारी कायनात है माँ !

    बहुत सुंदर ... मातृ दिवस की शुभकामनायें

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  4. माँ की ममता से भरी कविता | बहुत खुबसूरत रचना के लिए बधाई| मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद |
    आपका ब्लॉग बहुत प्रशंशनीय है |

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    1. माँ दुनिया का अजीज शब्द है |
      माँ शब्द की परिचर्चा करते करते थक जायेंगे फिर भी कम होगी | धन्यवाद |

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  5. माँ दुनिया का अजीज शब्द है |
    माँ शब्द की परिचर्चा करते करते थक जायेंगे फिर भी कम होगी | धन्यवाद |

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  6. माँ संजीवनी है


    दुखों का अवसान है
    ....sahi bat hai....ma se badhkar koi nhi...

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  7. चोट लगती है मुझे

    सिसकती है माँ
    BEAUTIFUL LINE AND ALL LINES ARE SO NICE.

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  8. तस्वीर ने माँ को रच दिया

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  9. मां तूं घणी महान

    दुनिया दिखाई म्हानै
    माणस बणाया म्हानै
    गीलै में खुद तूं सोई
    सूकै सुयाया म्हानै
    जग में बणाई स्यान
    मां तूं घणी महान।।

    तेरी थां न कोई लेवै
    भगवान भी है छोटौ
    तेरौ हाथ म्हारै सिर पर
    कियां पड़ैगौ टोटौ
    जीवण दियौ तूं दान
    मां तूं घणी महान।।

    चरणां में तेरै अरपित
    जीवण सदा मैं करस्यूं
    करजाऊ सदांई रै'स्यूं
    करजौ कियां मैं भरस्यूं
    दिन-रात तेरौ ध्यान
    मां तूं घणी महान।।

    -दीनदयाल शर्मा,
    बाल साहित्यकार,
    हनुमानगढ़, राजस्थान
    मोबाइल : 09414514666

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  10. माँ तू आंगन मैं किलकारी,
    माँ ममता की तुम फुलवारी।
    सब पर छिड़के जान,
    माँ तू बहुत महान।।

    दुनिया का दरसन करवाया,
    कैसे बात करें बतलाया।
    दिया गुरु का ज्ञान,
    माँ तू बहुत महान।।

    मैं तेरी काया का टुकड़ा,
    मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
    दिया है जीवनदान,
    माँ तू बहुत महान।।

    कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
    मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
    तुझ पर मैं कुर्बान,
    माँ तू बहुत महान।।

    -दीनदयाल शर्मा,

    10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
    हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
    राजस्थान, भारत

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  11. ईश का रूप

    प्रभु का नूर है

    एक अनमोल तोहफा

    सारी कायनात है माँ !

    बहुत सुंदर भाव ... मातृ दिवस की शुभकामनायें

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  12. माँ संजीवनी है

    दुखों का अवसान है

    ईश का रूप

    प्रभु का नूर है

    एक अनमोल तोहफा

    सारी कायनात है माँ !

    .....बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....

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  13. माँ की व्याख्या को शब्दों में बांधना मुश्किल है ...चाहे जितना कह लो , बहुत कुछ अनकहा ही रह जाता है .......बहुत सुन्दर सुशिलाजी ...और तस्वीर ने पूरी कविता को सजीव कर दिया......

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  14. माँ ही इस कायनात में लाइ है तो वही तो कायनात भी है ... भगवान भी है और देव भी है ...
    उसके असीम व्यक्तित्व कों शब्दों में उतारना कठिन है ...

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  15. मातृत्व की गरिमा को अभिव्यक्त करती मार्मिक कविता । भावों के इन्द्रधनुषी रंग इस रचना को और भी अधिक खूबसूरत बना दे रहे हैं । बहुत बधाई सुशीला जी !

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  16. 'मां' के दर्शन हो गये.

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