कहा जाता है कविता ह्रदय की अनुभूति और अभिव्यक्ति है। काव्य अपना मार्ग स्वयं चुनता है। ये भाव हाइकु के माध्यम से अभिव्यक्त हुए। प्रस्तुत हैं कुछ हाइकु -
१)
स्वयं समृद्ध
भ्रष्टाचार पोषित
देश बीमार !
२)
साहित्य शिव
राजनीति है विष
ना कर मेल !
१)
स्वयं समृद्ध
भ्रष्टाचार पोषित
देश बीमार !
२)
साहित्य शिव
राजनीति है विष
ना कर मेल !
३)
गुटबाज़ी है
साहित्य का नासूर
हो उपचार !
४)
गुटबाज हैं
श्वेतांबर पे कलंक
शारदे जाग !
५)
टिप्पणी कैद
संचालक के हाथ
लेखक पस्त !
६)
आपकी सोच
हुई है पराधीन
आप ज़हीन !
गुटबाज हैं
श्वेतांबर पे कलंक
शारदे जाग !
५)
टिप्पणी कैद
संचालक के हाथ
लेखक पस्त !
६)
आपकी सोच
हुई है पराधीन
आप ज़हीन !
७)
एकलव्य तू
श्रद्धा की पराकाष्ठा
द्रौण हैं मौन !
-सुशीला शिवराण
सभी हाइकु सत्य को कहते हुये ॥
ReplyDeleteएकलव्य तू
श्रद्धा की पराकाष्ठा
द्रौण हैं मौन !
बहुत पसंद आई
वाह................
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं सार्थक हायेकु सुशीला जी.
सादर.
एकलव्य तू
ReplyDeleteश्रद्धा की पराकाष्ठा
द्रौण हैं मौन !
बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति // बेहतरीन हाइकू, //
MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
MY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....
बेहतरीन हाइकु
ReplyDeleteसादर
. एकलव्य तू
ReplyDeleteश्रद्धा की पराकाष्ठा
द्रौण हैं मौन........ बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति........सुशीला जी...
साहित्य शिव
ReplyDeleteराजनीति है विष
ना कर मेल ..
वाह ... कुछ शब्दों का जादू ...
बढ़िया ||
ReplyDeleteबधाई ||
साहित्य शिव
ReplyDeleteराजनीति है विष
ना कर मेल !
कमाल के हाइकु हैं...बधाई...
नीरज
टिप्पणी कैद
ReplyDeleteसंचालक के हाथ
लेखक पस्त !
...
एकलव्य तू
श्रद्धा की पराकाष्ठा
द्रौण हैं मौन !... कमाल , हाइकु में पूरा सार
साहित्य शिव
ReplyDeleteराजनीति है विष
ना कर मेल ..
सारगर्भित हाइकू सभी सुंदर हैं
एक से एक बढ़कर हैं अर्थपूर्ण और प्रासंगिक .....!
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