वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Wednesday 30 May 2012

मसरूफ़ियत

आज फिर गोलू
पहुँचा अपनी प्यारी दुनिया में
खुशबुओं की क्यारी में
रंग-बिरंगे फूल खिले थे
हरे पेड़ तन कर खड़े थे
भँवरे गुंजन कर रहे थे
पक्षी खूब चहक रहे थे
नाचा बहुत सुंदर मोर
कारे बदरा सुहानी भोर
पंछी उड़ते नीड़ की ओर
उसे खींचते अपनी ओर।

गाल पे बैठी एक तितली 
उसकी प्यारी मुस्कान खिली
भाई उसे खूब ये दुनिया
कूची, रंगों में समेट ये दुनिया
पुलकित गोलू पहुँचा रसोई
भीतर से मम्मी बड़बड़ाईं 
सहमे-सहमे ही चित्र बढ़ाया
"
हूँ मसरूफ़", मम्मी चिल्लाई
भारी कदमों पहुँचा रीडिंग रूम
कंप्यूटर चालू पापा गुम
धीरे से पुकारा,"पापा"
बिन देखे झल्लाए पापा -
"
देखते नहीं कितनी मसरूफ़ियत है?बाद में कहना!"


-
सुशीला शिवराण
चित्र - साभार गूगल

16 comments:

  1. मसरूफ़ियत के बाद भी बच्चों की बातों का ध्यान रखना चाहिए,,,,,,,,

    सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

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    1. जी इसी भाव से लिखी गई है यह कविता कि बच्चों की अवहेलना ना हो। कविता का संज्ञान लेने के लिए शुक्रिया।

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  2. सच्ची!! ऐसा हम भी शायद करते हों कभी ना कभी.......

    सुंदर भाव सुशीला जी...

    अनु

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    1. अब धयान रखिएगा कि यह "शायद" ना आए!

      शुक्रिया अनु जी

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  3. अपनी मसरूफ़ियत में कितना कुछ खो देते हैं हम...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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    1. हार्दिक आभार Kailash Sharma जी।

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  4. बच्चे पौधे फूल सब, पल पल पास बुलायं।
    व्यस्तता के फेर में, हम ही समझ न पायं॥


    सुंदर रचना....
    सादर।

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    1. हबीब साहब आप्के अहसास और टिप्पणी के लिए शुक्रिया!

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  5. मासूम बच्चो को क्या पता मसरूफ़ियत क्या है? लेकिन हमारी मसरूफ़ियत बच्चो को हम से कितना दूर लेजाती है..सुन्दर रचना...

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    1. इन दूरियों को पाटने का प्रयास है यह कविता। पसंद करने के लिए शुक्रिया Maheshwari Kaneri जी

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  6. kids are like angels.. and unke innocence ka koi comparison nhi hota..

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  7. पर बच्चा जब अपना खुशी बाँटना चाहे तो मसरूफियत कैसी
    कुल मिला कर पति-पत्नी की सोच
    लगभग 80 फीसदी एकल परिवारों में ऐसी ही है
    जागरूक करती ये प्यारी रचना

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  8. सच लिखा है बच्चों के कोमल मन की भावनाओं कों समझने के लिए आज सब मसरूफ हैं ... अपने अपने में लगे हुवे हैं ... सही चित्रण है समाज का ...

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  9. बच्चों की भावनाओं को दर्शाती आपकी कविता अच्छी लगी । धन्यवाद ।

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  10. बालमन-नादान!

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