वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday, 18 February 2012

अर्थ के हेतु




अर्थ के हेतु

अर्थ के हेतु
खो जाता
जीवन का अर्थ !
अर्थ का मोह
ले जाता बिदेस

साथ ले जाता
सारी खुशियाँ
दे जाता
एकाकीपन
तन्हाई
इंतज़ार !

आया करवाचौथ
सजी सुहागन
रची मेहंदी हाथ
सजा मांग-सिंदूर
आभूषणों से
सजी भरपूर
कलेजे से
निकली हूक
किसे दिखाऊँ
यह शृंगार
साथ नहीं
जीवन-
शृंगार 
चाँद को अर्ध्य
तुम कहाँ
काँपते हाथ
थामें तस्वीर
उठे दिल में
घनी पीर
हाय तक़दीर !

आई दिवाली
जगमग घर
दीयों की कतार
लट्टुओं की लड़ी
नाना उपहार
मिठाइयाँ बड़ी
सामने फूलझड़ी
नहीं उठते हाथ
पिया नहीं साथ
कैसा उत्सव
कैसा त्यौहार
बाट जोहते
मैं तो गई हार !

दिल-दिमाग में
छिड़ती जंग
इतना भी नहीं
हाथ तंग
फिर क्यों नहीं
पाटते ये खाई
नहीं समेटते
ये दूरियाँ
कब चहकेगी
मन की चिरैया
कब महकेगी
जीवन फुलवारी
तपती रेत में
पिया मेह-सी
आस तुम्हारी |
-सुशीला श्योराण

24 comments:

  1. अर्थ के हेतु
    खो जाता
    जीवन का अर्थ !
    अर्थ का मोह
    गहन भाव लिए ...

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  2. बेहद सुन्दर भावपूर्ण रचना है....

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    1. हार्दिक आभार @Reena Maurya जी

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  3. मन की टीस को अच्छे से बयान करती कविता।

    सादर

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    1. शुक्रिया @यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)जी

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  4. कब चहकेगी
    मन की चिरैया... कब ख़त्म होगा इंतज़ार, बहुत अकेलेपन का भाव

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    1. इंतज़ार खत्म हुआ @रश्मि प्रभा...जी ! अब तो मन यह कह रहा है -

      मकां ये घर हुआ
      नसीब मेहरबां हुआ
      मुद्‍दत के बाद !

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  5. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ......

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    1. हार्दिक आभार @निवेदिता श्रीवास्तव जी

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  6. बेहद सुन्दर भावपूर्ण रचना है....

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    Replies
    1. हार्दिक आभार @sangita जी

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  7. अब तो आ जायेंगे...
    बस ये रचना पढ़ भर लें...
    :-)
    मुस्कुराइए...

    सस्नेह..

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  8. अब तो आ जायेंगे...
    ये रचना पढ़ तो लें...
    :-)
    मुस्कुराइए...

    सस्नेह...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आ गए हैं @vidya जी ! और दिल कह रहा है -

      वैसे तो है मसरूफ़ियत ज़िन्दगी में बड़ी
      बड़े खुशनुमा आजकल अपने हालात हैं

      रोशन है मेरे घर का हर कोना
      मुट्ठी में मेरी आज कायनात है

      -सुशीला श्योराण

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    2. :) बधाई..बधाई...

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  9. कितना बड़ा सच है अर्थ के लिए खो जाता है जीवन का अर्थ। इस बार मेरी पत्नी ने भी यह दुख झेला कि करवा चौथ पर मैं उसके साथ नहीं था।

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  10. @lokendra singh rajput इस दौड़-भाग भरी ज़िन्दगी ने बहुत कुछ छीना है हमसे! कविता पढने और स्वय़ं को उससे जुड़ा पाने के लिए शुक्रिया।

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  11. हार्दिक आभार @dheerendra जी

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  12. बहुत बढ़िया,बेहतरीन भाव भरी सुंदर रचना,...

    MY NEW POST...आज के नेता...

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  13. दिल दिमाग की ये जंग चलती रहती है पर पिया मिलन की आस ... प्रेम का रंग नहीं हारता कभी ...

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  14. अर्थ के चक्कर में जीवन जीने अर्थ खो जाता है,..
    बहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,सुंदर सटीक रचना के लिए बधाई,.....

    NEW POST...काव्यांजलि...आज के नेता...
    NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...

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  15. आपकी कविता के प्रत्येक शब्द समवेत स्वर में बोल उठे हैं ।.भाव भी मन को दोलायमान कर गया । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  16. अर्थ का ही चक्कर है कि कई बार अनर्थ हो जाता है.

    बहुत बढ़िया.

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