वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 5 February 2012

तेरी याद



शरद की धूप क्यूँ तन मेरे उतरती नहीं,
चाँदनी क्यूँ आँगन मेरे उतरती नहीं |

बहारे चमन भी क्यूँ मुझको लुभाती नहीं,
ये शोखियाँ क्यूँ घर-डेरे उतरती नहीं |

हरसू महफ़िल, राग-रंग, फ़ाग और मेले,
ये साज़धुन क्यूँ रूह तेरे उतरती नहीं |

मन का पपीहा छेड़े राग बेहद हसीं,
अमराई पे कोयल सवेरे उतरती नहीं |

एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |

आँखें गोया हो गई हैं सावन-भादो,
याद तेरी मन में अंवेरे उतरती नहीं |

तेरा साया हर लमहा मेरे साथ है,
प्रीत ने लिए तुम संग फ़ेरे, उतरती नहीं|

-सुशीला श्योराण 


27 comments:

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    1. शुक्रिया संगीता जी ।

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  2. भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
    सादर.

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    1. आभार विद्या जी।

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  3. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं... बहुत ही बढ़िया

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  4. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |

    बेहतरीन लिखी हैं मैम!

    सादर

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  5. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |

    बहुत सुंदर । यादें ही हैं जो हमें जीवन के रंगीन सपने दिखा जाती हैं । इन्हें सजोकर रखना एक बहुत बड़ी बात मानी जाती है । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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    1. गज़ल पसंद आई शुक्रिया प्रेम सरोवर जी ।
      आपकी पोस्ट पर जल्द ही आँऊगी। देरी के लिए मुआफ़ी

      सादर

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  6. मन का पपीहा छेड़े राग बेहद हसीं,
    अमराई पे कोयल सवेरे उतरती नहीं |

    एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
    vah bahut hi prbhavshali rachana ...sadar badhai

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    1. तारीफ़ के लिए शुक्रिया नवीन जी।

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  7. आँखें गोया हो गई हैं सावन-भादों,
    याद तेरी मन में अंवेरे उतरती नहीं|
    बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति.

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    1. हार्दिक आभार भूषण जी।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया धीरेन्द्र जी।

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  9. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
    बहुत सुंदर प्रस्तुति....

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    1. आपका स्वागत और शुक्रिया स्वाति जी।

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  10. सुन्दर एवं बेहतरीन प्रस्तुति...

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    1. आपका बहुत-बहुत शुक्रिया रीना जी।

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  11. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
    BEJOD RACHNA

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    1. हार्दिक आभार नीरज जी।

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  12. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं ...

    यादें अक्सर धोखा देती हैं ...
    लाजवाब लिखा है आपने ...

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  13. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.

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  14. एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
    तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |bahut badhiyaa....

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  15. सुंदर, स्पष्ट मन के भाव....

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  16. Bahut sundar rachana hai! Pahlee baar aana hua aapke blog pe!

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  17. Bahut sundar rachana hai! Pahlee baar aana hua aapke blogpe!

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