शरद की धूप क्यूँ तन मेरे उतरती नहीं,
चाँदनी क्यूँ आँगन मेरे उतरती नहीं |
बहारे चमन भी क्यूँ मुझको लुभाती नहीं,
ये शोखियाँ क्यूँ घर-डेरे उतरती नहीं |
हरसू महफ़िल, राग-रंग, फ़ाग और मेले,
ये साज़, धुन क्यूँ रूह तेरे उतरती नहीं |
मन का पपीहा छेड़े राग बेहद हसीं,
अमराई पे कोयल सवेरे उतरती नहीं |
एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
आँखें गोया हो गई हैं सावन-भादो,
याद तेरी मन में अंवेरे उतरती नहीं |
तेरा साया हर लमहा मेरे साथ है,
प्रीत ने लिए तुम संग फ़ेरे, उतरती नहीं|
-सुशीला श्योराण
sundar abhivyakti bdhai.
ReplyDeleteशुक्रिया संगीता जी ।
Deleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसादर.
आभार विद्या जी।
Deleteएक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं... बहुत ही बढ़िया
एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
बेहतरीन लिखी हैं मैम!
सादर
एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
बहुत सुंदर । यादें ही हैं जो हमें जीवन के रंगीन सपने दिखा जाती हैं । इन्हें सजोकर रखना एक बहुत बड़ी बात मानी जाती है । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
गज़ल पसंद आई शुक्रिया प्रेम सरोवर जी ।
Deleteआपकी पोस्ट पर जल्द ही आँऊगी। देरी के लिए मुआफ़ी
सादर
मन का पपीहा छेड़े राग बेहद हसीं,
ReplyDeleteअमराई पे कोयल सवेरे उतरती नहीं |
एक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
तेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
vah bahut hi prbhavshali rachana ...sadar badhai
तारीफ़ के लिए शुक्रिया नवीन जी।
Deleteआँखें गोया हो गई हैं सावन-भादों,
ReplyDeleteयाद तेरी मन में अंवेरे उतरती नहीं|
बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति.
हार्दिक आभार भूषण जी।
Deleteवाह!!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना
ReplyDeleteNEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
तहे दिल से शुक्रिया धीरेन्द्र जी।
Deleteएक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
बहुत सुंदर प्रस्तुति....
आपका स्वागत और शुक्रिया स्वाति जी।
Deleteसुन्दर एवं बेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत शुक्रिया रीना जी।
Deleteएक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |
BEJOD RACHNA
हार्दिक आभार नीरज जी।
Deleteएक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं ...
यादें अक्सर धोखा देती हैं ...
लाजवाब लिखा है आपने ...
इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteएक मुद्द्त हुई इन फ़ासलों को नापते,
ReplyDeleteतेरी याद दिल को घेरे उतरती नहीं |bahut badhiyaa....
सुंदर, स्पष्ट मन के भाव....
ReplyDeleteBahut sundar rachana hai! Pahlee baar aana hua aapke blog pe!
ReplyDeleteBahut sundar rachana hai! Pahlee baar aana hua aapke blogpe!
ReplyDeletesundar abhivyakti :)
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