स्त्री पुरुष का व्याकरण
तुम शेष थे
विशेष हो गए
'मैं ' और 'तुम 'थे जुदा
तुम शेष थे
विशेष हो गए
'मैं ' और 'तुम 'थे जुदा
कब 'हम 'के श्लेष ' हो गए
[श्लेष का अर्थ है चिपकना। जब एक ही शब्द से अनेक अर्थ चिपके हुए हों या निकलते हों, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।]
[श्लेष का अर्थ है चिपकना। जब एक ही शब्द से अनेक अर्थ चिपके हुए हों या निकलते हों, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।]
-Kavita Malviya
ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से दौड़ती रही और स्त्री-पुरूष व्याकरण भी बनता-बिगड़ता रहा कुछ ऐसे -
और जब हम
’हम’ के श्लेष हो गए
तो रूपक हुए उपमा
हम चाँद थे
अब चाँद-से हो गए
बदले उपमान
हम
चंद्रमुखी से
सूरजमुखी हो गए
और अब हुए
अतिश्योक्ति
क्योंकि मित्र
हम ज्वालामुखी हो गए !.....:)
-सुशीला शिवराण (श्योराण)
हम चाँद थे
अब चाँद-से हो गए
बदले उपमान
हम
चंद्रमुखी से
सूरजमुखी हो गए
और अब हुए
अतिश्योक्ति
क्योंकि मित्र
हम ज्वालामुखी हो गए !.....:)
-सुशीला शिवराण (श्योराण)