वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday, 18 August 2012

पूर्वोत्तर के भाई-बहनों की नज़र,



पूर्वोत्तर के लोगों को भय के साये में घर, रोज़गार और कॉलेज छोड़कर जाते देखते तकलीफ़ तो सभी संवेदनशील लोगों को हो रही होगी!
बंगलूरू, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे और अब वड़ोदरा भी.....अफ़वाहों का सिलसिला थम ही नहीं रहा ! पूर्वोत्तर के भाई-बहनों की नज़र है यह रचना -

अफ़वाहों पर भरोसा करने लगा है भारत
क्यों अपने ही साए से डरने लगा है भारत !

भाई का भाई से आज उठ गया विश्‍वास
अपने ही घर से उखड़ने लगा है भारत

अफ़वाहों का बाज़ार गर्म, नाकाम हुआ तंत्र
बना खौफ़ का अरण्य़ जलने लगा है भारत

छोड़ कॉलेज, दफ़्तर और घर-बार
अफ़सोस कि उजड़ने लगा है भारत

अपने ही घर में हम नहीं महफ़ूज़
अब महसूस करने लगा है भारत

रख हौंसला, थोड़ी हिम्मत हमवतन
तेरी हिफ़ाज़त की बात करने लगा है भारत

-सुशीला शिवराण (श्योराण)

12 comments:

  1. आज भारत का हर नागरिक भय और खौफ के साये मे जी रहे है..सार्थक रचना..

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    1. रचना का संज्ञान लेने के लिए शुक्रिया महेश्वरी जी।

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  2. बेहद सार्थक लेखन....
    भारत को धीरज रखना होगा...पाँव जमा कर चलना होगा.....

    अनु

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    1. सही कहा आपने अनु! सबसे बड़ा समाधान धीरज रखना और अफ़वाहों पर यकीन ना करना है। हार्दिक आभार

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  3. भय खौफ और अफवाहों से बचना होगा,इसके लिए धीरज की आवश्यकता है,,,,,सटीक प्रस्तुति

    RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

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    1. शुक्रिया धीरेम्द्र जी।

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  4. अफ़वाह से बढ़ कर दूसरी कोई चीज़ ख़ौफ़ पैदा नहीं करती. आपकी कविता सही दिशा में आगाह करती है.

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    1. रचना का संज्ञान लेने के लिएहार्दिक आभार भरत जी।

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  5. समसामयिक रचना सुशीला जी

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    1. रचना को आपने तवज्जो दी आभार वंदना जी।

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  6. भारत देश की त्रासदी को लिखा है आपने ....
    सामयिक गज़ल ...

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    1. रचना का संज्ञान लेने ले लिए, सरोकार साझा करने के लिए हार्दिक आभार दिगंबर नासवा जी!

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