वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday, 12 August 2012

कह तो पुरुष !





कह तो पुरुष !

पाता ही रहा
मुझसे
प्यार, हौंसला
टूटन के पलों में
डूबा मुझी में
मेरी बाँहों में
भुलाए ग़म जहाँ के
उतार फेंकी हताशा की केंचुली
मेरे प्रेम-सागर में
डूबा उतराया
ले के नया विश्‍वास
मेरे समर्पण में
पाया संबल
लेके मुझे पार्श में
हुआ सदा गर्वित
उन मादक पलों की स्मृति
मैंने कोख में सहेज
अपने खूं से सींच
दिया तुम्हें अतुल्य उपहार
बसाया तुम्हारा घर-संसार
महकाया बगिया-सा
दिए तुम्हारे जीवन को अर्थ
फिर भी तू नाशुक्रा
मेरे हर त्याग को
कहता रहा अधिकार
करता रहा वंचित
मुझे मेरे ही हक से
अर्धांगिनी नहीं
कहा अबला
जिस स्तंभ पर टिकी गृहस्थी
कहा उसी को आश्रित
पुरुष है !
तू ही गढ़ेगा परिभाषाएँ
जानता है
मानता नहीं
बनाए रखने को अपना अहं
कहता है
अबला, आश्रिता
मुझ सबला को !

-
सुशीला शिवराण (श्योराण)

16 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया यशंवंत जी।

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  2. पुरुष हमेशा से स्त्री को अबला निसहाय बेचारी जैसे आभूषणों से सजाता आया है.....बहुत सुन्दर सटीक रचना..आभार..

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    1. यह रचना एक भारतीय नारी के उद्‍गार ही हैं। आभार महेश्‍वरी कनेरी जी।

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  3. एक सच बहुत बेबाकी से कहा ………बहुत खूब

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    1. कविता की भावना को महसुस करने के लिए शुक्रिया।

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  4. बहुत सशक्त रूप से आपने एकदम सटीक बात कह दी.....
    जाने कब हमने सारे हक़ पुरुषों को दे डाले.....और अबला कहलाने लगे..
    नमन आपकी लेखनी को.

    अनु

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    1. आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार अनु।

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  5. 'पुरुष है न!
    तू ही गढ़ेगा परिभाषाएँ
    जानता है
    मानता नहीं
    बनाए रखने को अपना अहं'
    इन पंक्तियों में इस समाज का सत्य कहा है आपने. यह संघर्ष ज़ोर पकड़ रहा है. बहुत अच्छी कविता.

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    1. आप समाज की नब्ज को पहचानते हैं। हार्दिक आभार कविता को पसंद करने के लिए।

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  6. सत्य को कहती बहुत भावप्रवण रचना

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    1. कविता पसंद करने के लिए आभार संगीता जी।

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  7. बेहतरीन भावों को प्रस्तुत किया

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    1. कविता का संज्ञान लेने के लिए आभार रश्मि जी।

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  8. सशक्त सटीक सुन्दर भावपूर्ण रचना ,,,,सुशीला जी बधाई,,,,
    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

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    1. आपकी सूंदर प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार धीरेन्द्र जी। आपको पढ़्ना एक सुखद अनुभव होता है जल्दी ही आपके ब्लॉग पर आऊँगी।

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