वीथी
वीथी
हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Wednesday, 21 December 2011
आज सँवर लें
आओ सजन आज सँवर लें ,
खुशियों से अपना घर भर लें |
ठहरा जीवन दें रवानगी,
आओ कांधों पर सर धर लें |
बहुत रहे परदेस ओ पिया,
आ कि तेरा दीदार कर लें |
ये जिंदगी उदास बेमुकाम,
आओ खालीपन को हर लें |
बहे इश्क का दरिया इधर भी,
आओ इसमें हम भी तर लें |
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