वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Tuesday, 1 January 2013

हाइकु,ताँका दामिनी को समर्पित



दामिनी के शोक में नव-वर्ष नहीं मना रही हूँ। मेरे उद्‍गार हाइकु और ताँका में पढ़िए -

१)
आ नव-वर्ष
क्षुब्ध भारतवर्ष
ला न्याय, हर्ष !

२)
नारी-सम्मान
नव-वर्ष संकल्प
हर नर का !

३)
मैं मुहाफ़िज़
न होंगी बेआबरू
बेटियाँ प्यारी।

४)
बर्फ़ हुई जो
पिघले संवेदना
मेरी-तुम्हारी !

५)
बेहतर हो
कल मेरा-तुम्हारा
शुभकामना !

ताँका


उबरना है
शर्म से क्षोभ से तो
करो ये वादा
दामिनी का इंसाफ़
रहे ध्येय हमारा।

- शील

Saturday, 10 November 2012

पर्यावरण के हाइकु


पर्यावरण के हाइकु

१)
गंगा-यमुना
प्रदूषण की मारी
हुई उसांसी ।

२)
सुरसरिता
सींच के सभ्यताएँ
सूख न जाए !

३)
निर्मल धार
धो-धो सब का मैल
हुई मलिन ।

४)
वायुमंडल
अटा अब धुँए से
एसिड रेन !

५)
हैं प्रदूषित
जल के स्त्रोत सभी
रोगी मानव ।

६)
खाते जूठन
पॉलिथीन लिपटी
मरते पशु !


७)
ओज़ोन छिद्र
न रूके विकिरण
मिले कैसर !

८)
बधिर हुए
बसे स्टेशन-पास
गरीब लोग ।

९)
हर ली निद्रा
विकास की कीमत
चुकाएँ लोग।


१०)
दमा, तनाव
रक्‍तचाप के रोग
दे प्रदूषण ।

११)
करो उपाए
रोक लो प्रदूषण
वृक्ष उगाओ !

१२)
दें ऑक्‍सीजन
ले के दूषित हवा
वृक्ष हैं वैद्‍य !

- शील

चित्र : साभार गूगल

Saturday, 3 November 2012

हाइकु - करवाचौथ



आप सब का करवाचौथ बहुत ही उमंग और उल्लास भरा रहा होगा । इसी उमंग से निकले है ये हाइकु -

१)

शृंगार मेरा
पिया तेरी ही प्रीत
शेष है रीत !

२)
सजा मेंहदी
बिंदी, कजरा, माँग
पूजूँ मैं चाँद ।

३)
रची मेंहदी

सुर्ख रंग में बसा
प्रेम पिया का !

४)
चंदा की उम्र
लगे मेरे चाँद को
होंठों पे दुआ !
५)
पाऊँ हिना में

तेरे प्यार की खुश्‍बू
महक जाऊँ !

६)
सुर्ख हिना में

रची है तेरी प्रीत
ए मनमीत !

७)
कर्क चतुर्थी
लाए सुहाग पर्व
दिलों में हर्ष ।

- शील

Saturday, 5 May 2012

कुछ हाइकु ....


कहा जाता है कविता ह्रदय की अनुभूति और अभिव्यक्‍ति है। काव्य अपना मार्ग स्वयं चुनता है। ये भाव हाइकु के माध्यम से अभिव्यक्‍त हुए। प्रस्तुत हैं कुछ हाइकु -

१)
स्वयं समृद्ध
भ्रष्‍टाचार पोषित
देश बीमार !



२)
साहित्य शिव
राजनीति है विष
ना कर मेल !



३)
गुटबाज़ी है

साहित्य का नासूर
हो उपचार !

४)
गुटबाज हैं
श्‍वेतांबर पे कलंक
शारदे जाग !


५)
टिप्पणी कैद

संचालक के हाथ
लेखक पस्त !


६)

आपकी सोच
हुई है पराधीन
आप ज़हीन !


७)
एकलव्य तू
श्रद्धा की पराकाष्‍ठा
द्रौण हैं मौन !


-
सुशीला शिवराण
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