वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Monday, 19 August 2013

रक्षाबंधन के हाइकु



१)
कच्‍चे धागों से
बँधे रिश्‍ते उम्र के
राखी-पर्व पे ।

२)
सजी कलाई
बहना की दुआएँ
भाई ने पाईं ।

३)
सीमा पे भाई
नयन नीर बहे
राखी जो आई ।

४)
राखी की लाज
रखना ओ भगवन्‍
फौज में भाई ।



५)
राखी की डोर
मज़हबों के पार
रूहों को बाँधे ।


६)
कच्‍चे सूत से
बँधी बादशाहतें
बोलें तारीखें ।


७)
माँ-बाबा कहें
पर्व सबसे प्यारा
सींचे नेह को ।


- सुशीला श्योराण
शील’

चित्र : साभार गूगल