वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Saturday, 10 November 2012

पर्यावरण के हाइकु


पर्यावरण के हाइकु

१)
गंगा-यमुना
प्रदूषण की मारी
हुई उसांसी ।

२)
सुरसरिता
सींच के सभ्यताएँ
सूख न जाए !

३)
निर्मल धार
धो-धो सब का मैल
हुई मलिन ।

४)
वायुमंडल
अटा अब धुँए से
एसिड रेन !

५)
हैं प्रदूषित
जल के स्त्रोत सभी
रोगी मानव ।

६)
खाते जूठन
पॉलिथीन लिपटी
मरते पशु !


७)
ओज़ोन छिद्र
न रूके विकिरण
मिले कैसर !

८)
बधिर हुए
बसे स्टेशन-पास
गरीब लोग ।

९)
हर ली निद्रा
विकास की कीमत
चुकाएँ लोग।


१०)
दमा, तनाव
रक्‍तचाप के रोग
दे प्रदूषण ।

११)
करो उपाए
रोक लो प्रदूषण
वृक्ष उगाओ !

१२)
दें ऑक्‍सीजन
ले के दूषित हवा
वृक्ष हैं वैद्‍य !

- शील

चित्र : साभार गूगल