वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Saturday, 14 April 2012

कुछ हाइकु


कुछ हाइकु -

१.

मुद्दतें हुईं

खुल के हँसा है वो

रोने के बाद


२.

ओस की बूँद

रात रोई है धरा

दर्द गहरा


३.

रजनीगंधा

महकाए रतियाँ

सुबह न आ


४)

बौराए आम

कूके है कोय
लिया

मन विभोर


५)

ख्वाहिशें मेरी

भटकें दिन रैन

तुम बेपीर


६)

चाहत मेरी 

एक मुट्‍ठी आसमां

पाए दो जहां


-
सुशीला शिवराण