मैं
चंदन हूँ
आग हूँ
सबने समझा राख
अंगार हूँ
बर्फ़-सी शीतलता
लावे-सी दहक हूँ
फूल पर शबनम
एक महक हूँ
सबने समझा पीर
मैं शमशीर हूँ !
सबने समझा राख
अंगार हूँ
बर्फ़-सी शीतलता
लावे-सी दहक हूँ
फूल पर शबनम
एक महक हूँ
सबने समझा पीर
मैं शमशीर हूँ !
ये तन्हाइयाँ
परेशानियाँ
दुश्वारियाँ
क्यूँ है गमनशीं
ए हमनशीं
क्या रूका है यहाँ
जो ये रूकेंगी
हो जाएँगी रूखसत
ज़रा पलकें उठा के देख
मेरी आँखों में तुम्हें
उम्मीदें दिखेंगी......
-सुशीला शिवराण
चित्र : साभार गूगल