वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |
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Tuesday, 13 November 2012

मेरे दीपक जल



मेरे दीपक जल !

जगर-मगर मेरे दीपक जल
चल छोड़ महल कुटिया में चल
दीन-दुखी का कुछ तो हर तम
बुझी ज़िंदगियाँ रोशन कर।

ईंट-भट्टी में झुलसता बचपन
शीशे की आंच में सिकता लड़कपन
आतिश की कालिख में घुलता
बुझता बचपन, आलोकित कर ।

देह का बाज़ार दलदल में सना
जिस्म नुचता मंडियों में बेपनाह
इस नर्क से मुक्ति पाए जिन्दगी
नाउम्मीदी के तम में उम्मीद भर ।

बुढ़ापे की देहरी पर जब उलट जाए
अपनों का बरताव, रिश्तों का कलश
स्‍नेह और विश्‍वास से सींचा जिसे उम्र भर
जीवन संध्या में कोई उजास कर ।
जगर-मगर मेरे दीपक जल ।

- शील

चित्र : साभार गूगल

Tuesday, 13 December 2011

ए सनम !




तुम दिल
 
मैं ज़ज़्बात
आओ लिखें
कोई गज़ल
कोई नज़्म
ए सनम !

तुम कागज़
मैं कलम
तुम हरफ़

मैं अहसास
आओ लिखें
कोई नग़मा
ए सनम !


तुम बादल

मैं बरसात
थोड़ा उमड़ें
थोड़ा घुमड़ें
भीगें साथ
ए सनम !

तुम प्रेम

मैं प्रीत
आओ छेड़ें
कोई राग
कोई गीत
ए सनम !

Friday, 1 July 2011

हिंदुस्तान

     
                                                                  हिंदुस्तान 

हिंदुस्तान ........................

हिंदुस्तान प्यारा हिंदुस्तान
सबसे निराली इसकी शान
सब देशों में देश महान
हिंदुस्तान प्यारा हिंदुस्तान

गौरवशाली इसकी गाथा
निशि-दिन मेरा मन गाता
अडिग हिमाला चूमे इसका माथा
सागर इसके चरण है धोता
तिरंगा बना है इसकी शान

हिंदुस्तान प्यारा हिंदुस्तान ......

वीर सुभाष की सुन टंकार
मची अंग्रेजों में प्रलय अपार
करो या मरो का गूंजा गान
चारों तरफ़ थी यही पुकार
विदेशी शासन का मिटा निशाँ


हिन्दुस्तान ....................


हम इसकी हैं प्रखर संतान
देंगे इसको नए आयाम
देके नव उत्कर्ष,उत्थान
बढ़ायेंगे हम इसका मान
शपथ लेती इसकी संतान


हिन्दुस्तान प्यारा हिंदुस्तान
सबसे निराली इसकी शान
मेरा
प्यारा हिंदुस्तान
हिंदुस्तान
प्यारा हिंदुस्तान

-सुशीला श्योराण



Saturday, 28 May 2011

सोने की चिड़िया

सोने की चिड़िया


सोने की है ये चिड़िया
फूलों की है ये बगिया
देखी है सारी दुनिया
इस जैसा कोई है कहाँ !


सोने की चिड़िया ...................


सा सा सा रे गा रे गा ..........


गौतम की है ये भूमि 
गाँधी की है ये जननी 
गंगाधर की आई 
नेहरु की है ये माई
प्रज्ञा की है ये उर्मि
वेदों की है ये धरती 

सोने की चिड़िया ..............


भेद सभी को भूल के हमने
आज़ादी को पाया (सरगम )
क्यों भूल गया इंसान
शहीदों के वे बलिदान
कैसा आया आज समां
भाई लेता भाई की जान

भटकों को दिखाएँ राह
करें देश का नव-निर्माण



सोने की चिड़िया ....................