वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Saturday 28 May 2011

सोने की चिड़िया

सोने की चिड़िया


सोने की है ये चिड़िया
फूलों की है ये बगिया
देखी है सारी दुनिया
इस जैसा कोई है कहाँ !


सोने की चिड़िया ...................


सा सा सा रे गा रे गा ..........


गौतम की है ये भूमि 
गाँधी की है ये जननी 
गंगाधर की आई 
नेहरु की है ये माई
प्रज्ञा की है ये उर्मि
वेदों की है ये धरती 

सोने की चिड़िया ..............


भेद सभी को भूल के हमने
आज़ादी को पाया (सरगम )
क्यों भूल गया इंसान
शहीदों के वे बलिदान
कैसा आया आज समां
भाई लेता भाई की जान

भटकों को दिखाएँ राह
करें देश का नव-निर्माण



सोने की चिड़िया ....................

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