बिटिया रानी
मत कराइये फिर एहसास
किस सुख से मन वंचित हैएक कसक;घनीभूत पीड़ा
ह्रदय में मेरे संचित है |
यूँ तो भरा-पूरा है जीवन, संसार मेरा
सपूतों की जननी, मस्तक गर्वित मेरा
पायल की रुनझुन,कुमकुम,कज़रे की धार
हाथों पर मेहंदी , खूब करती उसका श्रृंगार.....
सपूतों की जननी, मस्तक गर्वित मेरा
पायल की रुनझुन,कुमकुम,कज़रे की धार
हाथों पर मेहंदी , खूब करती उसका श्रृंगार.....
नैनों में सपन सँजोए
बाट जोहे प्रसूता
विधि आँख-मिचौनी खेले
मन रह जाए बस रीता !
कहीं गर्भ में दस्तक दे
जब प्यारी बिटिया रानी
भ्रूण-हत्या को बेबस,मूक
जुल्म सहती, अबला नारी ?
ना ढांपो इस कुरूपता, इस कलुष को
आवाज़ दो अपने विवेक, संवेदना को
मत घोटो साँसे,जन्म से पहले बेटी की
वही बनेगी सुनीता विलियम्स, वही किरण बेदी !
वही बनेगी सुनीता विलियम्स, वही किरण बेदी !
What a wonderful poem...!!!!was this published anywhere else??This msg. is really needed in the society where such things happen...so meaningful...!!!well done ...keep it up..!!!!
ReplyDeletebut sundar............ behad marmsparshi!!!
ReplyDeleteaati uttam ma'am......
ReplyDelete@ Rajlaxmi - This poem was composed on 26th May. Not published anywhere except this blog.
ReplyDeleteThank you so much for the compliment Laxmi :)
@Shalini - Shukriya.
@Jagdish - Thank you beta.
Jaya I wish you had written your comment under the poem you liked.
ReplyDeleteJaya Mehta 27 May at 19:20 Report
mam the poem u wrote on daughters in ur blog,its beautiful.i dnt have words to describe it.keep up the gud work mam.tc
नैनों में सपन सँजोए
ReplyDeleteबाट जोहे प्रसूता
विधि आँख-मिचौनी खेले
मन रह जाए बस रीता !
..... मन द्रवित करती हुई, स्त्री ही स्त्री
की पीड़ा को समझती, समझाती हुई...सोद्देश्य सुंदर अभिव्यक्ति के लियें आभार ...
सस्नेह
गीता पंडित